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"मौन है क्यों कुछ तो बता लखनऊ शहर ?/ रवीन्द्र प्रभात" के अवतरणों में अंतर

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19:17, 4 फ़रवरी 2010 का अवतरण

तुझपर नहीं होता है क्या

प्रदूषणों का असर

मौन है क्यों
 
कुछ तो बता लखनऊ शहर ?
 
बढती हुई जनसँख्या

कटते हुये पेंड़

है सडकों पर पडे हुये

कूड़े- करकट के ढ़ेर

घुलता नहीं क्या

तेरी धमनियों में

गंदगी का जहर

कुछ तो बता लखनऊ शहर ?

आ रही नदी- नालियों से

कड़वी दुर्गन्ध

लौद्स्पीकर की आवाज़

होती नही मन्द

देखता हूँ रोगियों को

आते- जाते / इधर- उधर

कुछ तो बता लखनऊ शहर ?

धुल- धुआं / भीड़- भाड़

शोर- शरावा / चीख- पुकार

रातों की चेन कहाँ

मुआ मछरों की मार

भाग- दौड़/ आपा- धापी में

हो रहा जीवन - वसर

कुछ तो बता लखनऊ शहर ?

उनमादियों के नारे

गर्म हवा की चिमनियाँ

दे रही पैगाम ये

खोलना मत खिड़कियाँ

सायरन की चीख से क्यों

मन में उठ जाता है डर

कुछ तो बता लखनऊ शहर ?