"तुम्हारा हिंदुस्तान कहाँ है?/ रवीन्द्र प्रभात" के अवतरणों में अंतर
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जब कभी भी स्वतंत्रता दिवस आता है, तो मुझे | जब कभी भी स्वतंत्रता दिवस आता है, तो मुझे | ||
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याद आता है बरबस वह दिन, जब मैंने पढ़ाई पूरी की | याद आता है बरबस वह दिन, जब मैंने पढ़ाई पूरी की | ||
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और समझा जीवन की उपयोगिता | और समझा जीवन की उपयोगिता | ||
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तो सोचा कि अब जीतनी ही होगी कोई ना कोई प्रतियोगिता | तो सोचा कि अब जीतनी ही होगी कोई ना कोई प्रतियोगिता | ||
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बस सोचकर इतनी सी बात | बस सोचकर इतनी सी बात | ||
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मैंने तैयारी की कई दिनों तक जगकर पूरी-पूरी रात | मैंने तैयारी की कई दिनों तक जगकर पूरी-पूरी रात | ||
− | + | और सकुचाया-घबराया आया प्रतियोगिता-प्राँगण में सवेरे-सवेरे | |
− | और सकुचाया- घबराया आया प्रतियोगिता- | + | |
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तो देखा कि क़तरबढ़ थे युवक बहुतेरे | तो देखा कि क़तरबढ़ थे युवक बहुतेरे | ||
− | + | मैं डरा-सहमा-सकुचाया | |
− | मैं डरा-सहमा- सकुचाया | + | |
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द्वारपाल के पास आया | द्वारपाल के पास आया | ||
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और प्रश्न कि घड़ी घुमाई | और प्रश्न कि घड़ी घुमाई | ||
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मेरा नंबर कब आयगा भाई? | मेरा नंबर कब आयगा भाई? | ||
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उसने पलटकार कहा- मित्र, | उसने पलटकार कहा- मित्र, | ||
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कैसी बातें करते हो विचित्र ? | कैसी बातें करते हो विचित्र ? | ||
वैसे तो यह प्रतियोगिता शाम तक जाएगी | वैसे तो यह प्रतियोगिता शाम तक जाएगी | ||
− | + | मगर पच्चास का नोट चलेगा और तेरी बारी आ जाएगी। | |
− | मगर पच्चास का नोट चलेगा और तेरी बारी आ | + | |
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यह सुनकर- | यह सुनकर- | ||
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मेरा मन मुस्कुराया | मेरा मन मुस्कुराया | ||
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मैंने जेब से पच्चास के नोट निकाले | मैंने जेब से पच्चास के नोट निकाले | ||
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और उसके चेहरे पर घुमाया | और उसके चेहरे पर घुमाया | ||
− | + | तब कहीं जाकर काफ़ी मशक्कत के बाद मेरा नंबर आया | |
− | तब कहीं जाकर काफ़ी | + | |
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भाईसाहब, जब इस दुनिया में कोई भी सच्चा नहीं है | भाईसाहब, जब इस दुनिया में कोई भी सच्चा नहीं है | ||
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तो रिश्वत न देकर- | तो रिश्वत न देकर- | ||
+ | पिछले दरवाज़े से ना पहुँचना भी तो अच्छा नही है | ||
− | + | ख़ैर छोड़िए इन बातों को | |
− | + | प्रतियोगिता-प्राँगण में प्रवेश करते हैं | |
− | ख़ैर | + | क्या हुआ? क्रमवार प्रस्तुत करते हैं। |
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− | प्रतियोगिता- | + | |
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− | क्या हुआ? क्रमवार प्रस्तुत करते | + | |
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+ | बातें ज़रूर है विचित्र , किन्तु सुनिए - | ||
मेरे मित्र, कि जब मेरे इंटरव्यू की बारी आई | मेरे मित्र, कि जब मेरे इंटरव्यू की बारी आई | ||
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तो मैंने अपने सामने एक मराठी शिक्षिका पाई | तो मैंने अपने सामने एक मराठी शिक्षिका पाई | ||
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उसने कहा- | उसने कहा- | ||
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चलो शुरुआत करते हैं गणपति गणेश से | चलो शुरुआत करते हैं गणपति गणेश से | ||
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झटपट बताओ बेटा ये महाराष्ट्र से आते हैं, या उत्तरप्रदेश से? | झटपट बताओ बेटा ये महाराष्ट्र से आते हैं, या उत्तरप्रदेश से? | ||
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मेरा भेजा गरमाया | मेरा भेजा गरमाया | ||
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मुझे बहुत ग़ुस्सा आया | मुझे बहुत ग़ुस्सा आया | ||
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मैंने कहा- मैडम, ये भी कोई सवाल है? | मैंने कहा- मैडम, ये भी कोई सवाल है? | ||
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अजी बताइए, क्या माता काली की पूजा के लिए अधिकृत केवल पश्चिम बंगाल है? | अजी बताइए, क्या माता काली की पूजा के लिए अधिकृत केवल पश्चिम बंगाल है? | ||
− | + | ख़ैर छोड़िए यह बताइए महोदया, | |
− | ख़ैर | + | |
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तर्पण और पिंड दान के लिए केवल बिहारी हीं जाते हैं गया ? | तर्पण और पिंड दान के लिए केवल बिहारी हीं जाते हैं गया ? | ||
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या फिर दर्शन करने मर्यादा पुरुषोत्तम राम के | या फिर दर्शन करने मर्यादा पुरुषोत्तम राम के | ||
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यानी अवधेश के | यानी अवधेश के | ||
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क्या वही जाते हैं, जो होते हैं उत्तरप्रदेश के? | क्या वही जाते हैं, जो होते हैं उत्तरप्रदेश के? | ||
− | + | क्या साईं बाबा मराठियों के लिए ही पूज्य हैं? | |
− | क्या | + | क्या गुरु नानक देव पंजाबियों के लिए है आराध्य? |
− | + | बस करिए मैडम, मत पूछिए इस तरह के प्रश्न असाध्य | |
− | क्या गुरु नानक देव | + | |
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− | बस करिए मैडम, मत | + | |
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नही तो- | नही तो- | ||
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अमेरिका रूपी आतंकवादी विश्व के मानचित्र पर | अमेरिका रूपी आतंकवादी विश्व के मानचित्र पर | ||
− | + | अपनी उँगलियाँ रखेगा और मुस्कुराते हुए पूछेगा, कि- | |
− | अपनी | + | |
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यहाँ देखो, तुम्हारा महाराष्ट्र यहाँ है, तुम्हारा कश्मीर यहाँ है, तुम्हारा राजस्थान यहाँ है, | यहाँ देखो, तुम्हारा महाराष्ट्र यहाँ है, तुम्हारा कश्मीर यहाँ है, तुम्हारा राजस्थान यहाँ है, | ||
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सब कुछ तो है मगर बेटा, | सब कुछ तो है मगर बेटा, | ||
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तुम्हारा हिंदुस्तान कहाँ है? | तुम्हारा हिंदुस्तान कहाँ है? | ||
− | वह शिक्षिका भौंचक मुझे देखती रही | + | वह शिक्षिका भौंचक मुझे देखती रही |
− | + | ||
चिंतन के सागर में डूबती रही, ख़ामोश बस मुझे एकटाक घूरती रही | चिंतन के सागर में डूबती रही, ख़ामोश बस मुझे एकटाक घूरती रही | ||
− | + | मुझे उस दिन कुछ भी नही भया | |
− | मुझे उस दिन | + | और मैं बिना अनुमति के प्रतियोगिता-प्रांगण से बाहर आया |
− | + | ||
− | और मैं बिना अनुमति के प्रतियोगिता - | + | |
मैं जनता था, कि- | मैं जनता था, कि- | ||
− | + | भाई-भतिजावाद और क्षेत्रवाद | |
− | भाई- भतिजावाद और क्षेत्रवाद | + | |
− | + | ||
प्रतियोगिता की भेंट चढ़ चुका है | प्रतियोगिता की भेंट चढ़ चुका है | ||
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योग्यता हो गयी है दरकिनार | योग्यता हो गयी है दरकिनार | ||
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क्योंकि अब प्रतियोगिता, प्रतियोगिता नहीं रही | क्योंकि अब प्रतियोगिता, प्रतियोगिता नहीं रही | ||
− | + | बन गई है व्यापार... बन गई है व्यापार... बन गई है व्यापार... | |
− | बन | + | |
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22:09, 4 फ़रवरी 2010 का अवतरण
जब कभी भी स्वतंत्रता दिवस आता है, तो मुझे
याद आता है बरबस वह दिन, जब मैंने पढ़ाई पूरी की
और समझा जीवन की उपयोगिता
तो सोचा कि अब जीतनी ही होगी कोई ना कोई प्रतियोगिता
बस सोचकर इतनी सी बात
मैंने तैयारी की कई दिनों तक जगकर पूरी-पूरी रात
और सकुचाया-घबराया आया प्रतियोगिता-प्राँगण में सवेरे-सवेरे
तो देखा कि क़तरबढ़ थे युवक बहुतेरे
मैं डरा-सहमा-सकुचाया
द्वारपाल के पास आया
और प्रश्न कि घड़ी घुमाई
मेरा नंबर कब आयगा भाई?
उसने पलटकार कहा- मित्र,
कैसी बातें करते हो विचित्र ?
वैसे तो यह प्रतियोगिता शाम तक जाएगी
मगर पच्चास का नोट चलेगा और तेरी बारी आ जाएगी।
यह सुनकर-
मेरा मन मुस्कुराया
मैंने जेब से पच्चास के नोट निकाले
और उसके चेहरे पर घुमाया
तब कहीं जाकर काफ़ी मशक्कत के बाद मेरा नंबर आया
भाईसाहब, जब इस दुनिया में कोई भी सच्चा नहीं है
तो रिश्वत न देकर-
पिछले दरवाज़े से ना पहुँचना भी तो अच्छा नही है
ख़ैर छोड़िए इन बातों को
प्रतियोगिता-प्राँगण में प्रवेश करते हैं
क्या हुआ? क्रमवार प्रस्तुत करते हैं।
बातें ज़रूर है विचित्र , किन्तु सुनिए -
मेरे मित्र, कि जब मेरे इंटरव्यू की बारी आई
तो मैंने अपने सामने एक मराठी शिक्षिका पाई
उसने कहा-
चलो शुरुआत करते हैं गणपति गणेश से
झटपट बताओ बेटा ये महाराष्ट्र से आते हैं, या उत्तरप्रदेश से?
मेरा भेजा गरमाया
मुझे बहुत ग़ुस्सा आया
मैंने कहा- मैडम, ये भी कोई सवाल है?
अजी बताइए, क्या माता काली की पूजा के लिए अधिकृत केवल पश्चिम बंगाल है?
ख़ैर छोड़िए यह बताइए महोदया,
तर्पण और पिंड दान के लिए केवल बिहारी हीं जाते हैं गया ?
या फिर दर्शन करने मर्यादा पुरुषोत्तम राम के
यानी अवधेश के
क्या वही जाते हैं, जो होते हैं उत्तरप्रदेश के?
क्या साईं बाबा मराठियों के लिए ही पूज्य हैं?
क्या गुरु नानक देव पंजाबियों के लिए है आराध्य?
बस करिए मैडम, मत पूछिए इस तरह के प्रश्न असाध्य
नही तो-
अमेरिका रूपी आतंकवादी विश्व के मानचित्र पर
अपनी उँगलियाँ रखेगा और मुस्कुराते हुए पूछेगा, कि-
यहाँ देखो, तुम्हारा महाराष्ट्र यहाँ है, तुम्हारा कश्मीर यहाँ है, तुम्हारा राजस्थान यहाँ है,
सब कुछ तो है मगर बेटा,
तुम्हारा हिंदुस्तान कहाँ है?
वह शिक्षिका भौंचक मुझे देखती रही
चिंतन के सागर में डूबती रही, ख़ामोश बस मुझे एकटाक घूरती रही
मुझे उस दिन कुछ भी नही भया
और मैं बिना अनुमति के प्रतियोगिता-प्रांगण से बाहर आया
मैं जनता था, कि-
भाई-भतिजावाद और क्षेत्रवाद
प्रतियोगिता की भेंट चढ़ चुका है
योग्यता हो गयी है दरकिनार
क्योंकि अब प्रतियोगिता, प्रतियोगिता नहीं रही
बन गई है व्यापार... बन गई है व्यापार... बन गई है व्यापार...