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"भर दे जो रसधार दिल के घाव में / रवीन्द्र प्रभात" के अवतरणों में अंतर
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फिर वही घूँघरू बंधे इस पाँव में ! | फिर वही घूँघरू बंधे इस पाँव में ! | ||
द्रौपदी वेबस खडी यह कह रही - | द्रौपदी वेबस खडी यह कह रही - | ||
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अब न हो शकुनी सफल हर दाव में ! | अब न हो शकुनी सफल हर दाव में ! | ||
बर्तनों की बात मत अब पूछिए - | बर्तनों की बात मत अब पूछिए - | ||
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आजकल सब व्यस्त हैं टकराव में ! | आजकल सब व्यस्त हैं टकराव में ! | ||
है सफल माझी वही मझदार का - | है सफल माझी वही मझदार का - | ||
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बूँद एक आने न दे जो नाव में ! | बूँद एक आने न दे जो नाव में ! | ||
बात करता है अमन की जो "प्रभात" | बात करता है अमन की जो "प्रभात" | ||
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भावना उसकी जुडी अलगाव में ! | भावना उसकी जुडी अलगाव में ! | ||
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17:39, 5 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
भर दे जो रसधार दिल के घाव में,
फिर वही घूँघरू बंधे इस पाँव में !
द्रौपदी वेबस खडी यह कह रही -
अब न हो शकुनी सफल हर दाव में !
बर्तनों की बात मत अब पूछिए -
आजकल सब व्यस्त हैं टकराव में !
है सफल माझी वही मझदार का -
बूँद एक आने न दे जो नाव में !
बात करता है अमन की जो "प्रभात"
भावना उसकी जुडी अलगाव में !