भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पुलिस फिरौती मांगे रे मितवा / रवीन्द्र प्रभात" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("पुलिस फिरौती मांगे रे मितवा / रवीन्द्र प्रभात" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:41, 5 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
पुलिस फिरौती माँगे मितवा,
शहर घिनौना लागे मितवा!
सुते पहरुआ, चोर-उचक्का
रात-रात भर जागे मितवा!
गणिका बाँचे काम, पतुरिया
पीछे-पीछे भागे मितवा!
दुर्जन मदिरा पान में पीछे
संत-मौलवी आगे मितवा!
कहे 'प्रभात' सुनो भाई जनता
भूखे लोग अभागे मितवा!!