भाई धर्मेन्द्र जी!'सक्रिय परियोजनाओं की सूची' से 'नीहार' को हटा दिया है। हम आपके बेहद आभारी हैं कि आपने 'नीहार' का टंकण पूरा कर दिया है। अब आगे क्या करने जा रहे हैं?सादर--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १३:२०, २३ सितम्बर २००९ (UTC) *== संग्रहों के चित्र ==
प्रिय भाई धर्मेन्द्र जी!आपने महादेवी जी के'नीहार' संग्रह का पन्ना अलग से बना दिया है, यह अच्छा है। आप उसमें संग्रह की सभी कविताएँ जोड़ेंगे, यह भी ठीक है। लेकिन महादेवी जी के मुख्य पन्ने पर भी कुछ कविताएँ रहनी चाहिएँ ताकि उस पन्ने पर पहुँचने वाले पाठक को उस पर सिर्फ़ कविता-संग्रहों के नाम ही नहीं दिखाई पड़ें, बल्कि कुछ कविताएँ भी दिखाई पड़ें। आम तौर पर हम किसी भी कवि की प्रमुख कविताएँ ही उस कवि के मुख्य पृष्ठ पर जोड़ते हैं ताकि पाठक को उस पन्ने पर पहुँचते ही उस कवि की मुख्य कविताएँ दिखाई दे जाएँ। आप भी आगे से इस बात का ख़याल रखियेगा कि कवि की प्रमुख कविताएँ न हटाएँ।अब महादेवी जी की उन कविताओं के नाम फिर से जोड़ने की बात पर, जो आपने हटा दी थीं, मैं अपना उत्तर दे रहा हूँ। दरअसल आरम्भ में मैंने यह नहीं देखा था कि आपने 'नीहार' का अलग पन्ना बना दिया है। लेकिन जब यह देख लिया तो दोबारा से कविताएँ नहीं हटाईं। आप चाहें तो अब फिर से उन्हें हटा सकते हैं। यह समझिए कि एक ग़लतफ़हमी के तहत मैंने उन्हें फिर से जोड़ दिया था। लेकिन एक बात और भी यह कहनी है कि सिर्फ़ शीर्षक हटा देने से वह पन्ना कोष में से गायब नहीं हो जाता। वह कविता कोश में सुरक्षित रहता है। बस, शीर्षक गायब हो जाता है। इसलिए उस पूरे पन्ने को हटाने की ज़रूरत होती है। लेकिन यह पन्ना हटाने का अधिकार अभी तक आपको नहीं दिया गया है। जब कोश की प्रशासक प्रतिष्ठा जी आपको यह अधिकार दे देंगी तो आप भी कोश में से कोई भी पन्ना हटा सकेंगे।शुभकामनाओं सहितसादर--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १४:३४, २० सितम्बर २००९ (UTC)*
प्रिय भाई अटल जी के पूरे के पूरे संग्रहों को और उनकी कुछ कविताओं को इस कोश में नहीं जोड़ना अभी सम्भव नहीं है, क्योंकि वे पूरी तरह से राजनीतिक कविताएँ हैं।
-अनिल
*
मैं अटल बिहारी वाजपेयी जी की के कुछ संग्रह और डा़लना चाहता हूँ। कैसे करूँ?
*
शिकायत उचित है। आगे से ध्यान रखूँगा।
*
प्रिय भाई!
आपसे एक और शिकायत यह भी है कि आप जो कविताएँ जोड़ रहे हैं, वे नेट से लेकर जोड़ रहे हैं। लेकिन जब आप फ़ोन्ट परिवर्तक का उपयोग करते हैं तो वर्तनी की बहुत सारी ग़लतियाँ भी
हो जाती हैं। कृपया इन ग़लतियों को रचना कोष में जोड़ने से पहले अवश्य सुधार दिया करें। अन्यथा कुछ ही दिनों में यह कोश कूड़ाघर दिखाई देने लगेगा। तरूण भटनागर की कविताओं में तो बेतहाशा ग़लतियाँ हैं।
सादर
अनिल जनविजय, १५ सितम्बर २००९
*
आदरणीय,
कविता कोश में आपका तेज़ी से बढ़ता हुआ योगदान सराहनीय है। कविता कोश को आप जैसे ही योगदानकर्ताओं की आवश्यकता है तभी हिन्दी काव्य संग्रहों के कोश को और विकसित करने का स्वप्न पूरा हो सकेगा। आप कौन हैं, क्या जो चित्र अपलोड करते हैं उनमें से कई काफ़ी नीरस किस्म के होते हैं। सफ़ेद बैकराउंड पर बस संग्रह और कहाँ रहते हैं -यह सब जानने की उत्सुकता रचनाकार का नाम लिखा होता है। आप यह मेरे ख्याल में हमें कोशिश करनी चाहिये कि हम इससे बेहतर और रंगीन चित्रों का प्रयोग करें। ये सफ़ेद चित्र कोई भी नयी जानकारी अपने '''[[सदस्य:Dkspoet|सदस्य पन्नें]]''' पर लिख या रुचिकर ग्राफ़िक्स नहीं दिखाते हैं। आप ऐसे चित्रों को अपलोड करते रह सकते हैं ताकि जिसे भी आपके बारे में जानने की उत्सुकता हो वह आपने पन्नें पर जा कर पढ़ सके। यदि हो सके तो अपना एक लेकिन साथ ही कोशिश करें कि संग्रह के कवर का बेहतर चित्र भी kavitakosh@gmail.com मिल जाये। और ऐसा होने पर भेजें।आप कोश में कवर का चित्र बदल दें।
अपना योगदान इसी तरह बनाये रखें।
सादरआपको अपने वार्ता पन्नें से सामग्री हटाने की ज़रूरत नहीं है। विभिन्न सदस्यों के बीच की वार्ता बाद में अन्य सदस्यों के काम भी आ सकती है। उदाहरण के लिये आपके वार्ता पन्नें पर मेरे इस संदेश को पढ़कर (वर्तमान और भविष्य दोनों के) अन्य सदस्य भी चित्रों के बेहतर होने की बात को समझ सकेंगे।
'''--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] ११:०८, १३ सितम्बर २००९ (UTC)'''
== चित्र अपलोड करने का अधिकार ==aroma 02:29, 13 फरवरी 2010 (UTC)आशा है आप स्वस्थ व प्रसन्न होंग--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] ०६:२३, १४ दिसम्बर २००९ (UTC)'''
आपके योगदान को देखते हुए आपको कविता कोश में चित्र == री-अपलोड करने और पन्नों के नाम बदनें का अधिकार दिया जा रहा है। अब से आप यह दोनों कार्य कर सकेंगे। इन कार्यों को करने वाले योगदानकर्ताओं के समूह में आपका स्वागत है और इन कार्यों में हाथ बंटाने के लिये कोश आपका आभारी है।==
सादरप्रिय धर्मेंद्र,
'''--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] २०:५५, १४ सितम्बर २००९ (UTC)'''
*
आदरणीय बन्धु,
कृपया आप संग्रहों पर sort order न डालें इससे कविता संग्रह में प्रकाशित रचनाओं का क्रम बिगड़ता है और इस पर रचनाकार को ऐतराज़ होगा। आशा है कि आप मेरे इस सुझाव को अन्यथा नहीं लेंगे।--[[सदस्य:प्रकाश बादल|प्रकाश बादल]] २१:०३, १४ सितम्बर २००९ (UTC)
*
आदरणीय,
आपके सुझाव का स्वागत है। परन्तु sort order डा़लने पर मुझे एक ही दॄष्टि में पता चल जाता है कि कौन सी कविता प्रकाशित नहीं हुई है। अतः कविता संग्रहों के अलावा बाकी के स्थानों पर तो मैं sort order डा़ल सकता हूँ ना।
*
बिल्कुल, संग्रहों के अलावा अन्य स्थानों पर आप sort order डाल सकते हैं लेकिन आप रचना के होने का पता नीले रंग से और न होने का पता लाल रंगे से भी तो लगा सकते हैं।लेकिन मान लीजिए यदि आप किसी लेखक की संग्रह सूचि पर ही सॉर्ट ऑर्डर लगा देते हैं तो भी वो उनके प्रकाशन के क्रम से हट कर वर्णमाला के क्रम पर आ जाते हैं जो उचित नहीं लगता। इस बारे में आप अधिक तकनीकी जानकारी सम्यक जी,ललित जी और प्रतिष्ठा जी से kavitakosh@gmail.com पर मेल करके भी जान सकते हैं। मैंने आपसे sort order न डालने का आग्रह इसलिए किया था ताकि जिस क्रम में रचना या संग़्रह प्रकाशित हुए हैं उसका क्रम ऊपर नीचे न हो। आप sort order न ही लगाएं तो ठीक रहेगा। आप कविता कोश को जिस तेज़ी से दे रहे हैं ज़ाहिर है उस गति से कविता कोश अपने लक्ष्य की ओर तीव्र गति से बढेगा। कविता कोश का सहयोगी सदस्य होने के नाते मैं आपके द्वारा कोश को दिये जा रहे योगदान के लिए आपका आभार प्रकट करता हूँ।
सादर ! --[[सदस्य:प्रकाश बादल|प्रकाश बादल]] ०५:५८, १५ सितम्बर २००९ (UT
== चित्रों के नये वर्ज़न को अपलोड करने (यानि री-अपलोड करने) का अधिकार भी कविता कोश में वार्तालाप ==केवल कुछ योगदानकर्ताओं को ही दिया गया है। जब कभी भी आपको री-अपलोड करने की ज़रूरत पड़े तो मुझे लिखियेगा। मैं आपको यह अधिकार देने में सक्षम हूँ। अधिकार मिल जाने के बाद आपको बस इतना करना है कि जिस नाम से चित्र पहले से मौजूद है '''बिल्कुल उसी नाम''' का नया वर्ज़न अपलोड करें। सिस्टम आपसे कहेगा कि इस नाम से एक फ़ाइल पहले ही अपलोड की जा चुकी है -क्या क्या इस फ़ाइल का नया वर्ज़न अपलोड करना चाहते हैं? आपको हाँ कहना है और नया वर्ज़न अपलो````सदस्य:सम्यक|सम्यक]] १२:०६, १४ दिसम्बर २००९ (UTC)'''
नमस्कार,== चित्रों के नाम... ==
धर्मेन्द्र,
कविता कोश में सदस्यों के बीच वार्तालाप को सुचारु बनाने के उद्देशय से मैनें एक लेख लिखा है। कृपया इसे पढ़ें और इसके अनुसार कोश में उपलबध वार्तालाप सुविधाओं का प्रयोग करें। हो सकता है कि आप इन सुविधाओं का प्रयोग पहले से करते रहें हों -फिर भी आपको यह लेख पूरा पढ़ना चाहिये ताकि यदि आपको किसी सुविधा के बारे में पता नहं है या आप इन सुविधाओं का प्रयोग करने में कोई त्रुटि कर रहे हैं तो आपको उचित जानकारी मिल सके।
कृपया अपलोड किये जाने वाले चित्रों के नाम अंग्रेज़ी अक्षरों में ही लिखें। इस समय वैसे कोई समस्या नहीं है -लेकिन संभव है कि भविष्य में हिन्दी नाम वाली फ़ाइल्स को किसी और काम के लिये प्रयोग करते समय कोई समस्या आए।
यह लेख ''[[सदस्य वार्ता और चौपाल का प्रयोग]]'' नाम से उपलब्ध है।
धन्यवाद
शुभाकांक्षी
--aroma 02:30, 13 फरवरी 2010 (UTC)[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] १६०६:०१४३, २६ सितम्बर २४ दिसम्बर २००९ (UTC)'''
धर्मेन्द्र जी!
रंजना भाटिया को असुरक्षित कर दिया है।--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] ०७:५१, २५ दिसम्बर २००९ (UTC)
सादर नमस्कार धर्मेन्द्र जी ! हरिवंश राय बच्चन जी की कविताएँ जोड़ते समय कृपया हर रचना में KKCatKavita श्रेणी भी जोड़ते जाएँ पाठक को खोज चन्द्रभूषण को आसान करने के लिए कविता कोश में ग़ज़ल नज़्म कविता त्रिवेणी क़तअ बाल रचनाएँ आदि कई श्रेणियाँ दी गई हैंअसुरक्षित कर दिया है।--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १५:१९, २५ दिसम्बर २००९ (UTC)
अगर आपको कोई दुविधा हो तो आप अनिल धर्मेन्द्र जी या टीम के किसी भी सदस्य से जानकारी ले सकते हैं !आप जितनी लगन से दुर्लभ रचनाएँ देवी नांगरानी, शार्दुला नोगजा और कविता कोश में जोड़ रहे हैं उसके लिए हम जैसे देश से दूर बैठे पाठक आपके सदा आभारी रहेंगेवाचक्नवी को असुरक्षित कर दिया है।--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १५:५०, २५ दिसम्बर २००९ (UTC)
Shrddha--[[सदस्य:Shrddha|Shrddha]] ०६:३५, २८ सितम्बर २००९ (UTC)== पन्नों के नाम बदलना ==
==धन्यवाद==धर्मेन्द्र जी! "एकान्त संगीत" का टंकण पूरा करने के लिए मैं निजी रूप से और कविता कोश टीम की तरफ़ से आपका आभारी हूँ। आप जिस तेज़ी से काम कर रहे हैंप्रिय धर्मेंद्र, उसके लिए आभार शब्द कम है, लेकिन हम सब हिन्दी की सेवा कर रहे हैं, इसलिए ज़्यादा-कुछ और भी नहीं कहूंगा।सादर--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] २०:४२, २९ सितम्बर २००९ (UTC)
==’ड़’ और ’ढ़’के नीचे बिन्दी==
प्रिय धर्मेन्द्र जी,
आप बड़ी तेज़ी से और बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, जब हम सब लोग अपने-अपने कामों में व्यस्त हैं, आप जुटे हुए हैं। इसके लिए आभार। लेकिन मैं आपका ध्यान एक छोटी सी भूल की ओर दिलाना चाहता हूँ कि ’ड़’ अक्षर ’ड’ अक्षर से भिन्न होता है। ’गड़बड़’ में तो ’ड़’ के नीचे बिन्दी लगेगी, लेकिन ’डाल’ और ’डंडा’ और ’ठंडा’ जैसे शब्दों में ’ड’ अक्षर बिना बिन्दी के लिखा जाएगा। ये दो अलग-अलग ध्वनियाँ हैं। आप शुरू से ही यह भूल करते रहे हैं। इसी तरह से ’ढ’ और ’ढ़’दो अलग-अलग ध्वनियाँ हैं। आशा है, आप आगे से इसका ख़याल रखेंगे। और मेरी बात को अन्यथा नहीं लेंगे। सादर
--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १८:३७, ३ अक्तूबर २००९ (UTC)
==निशा निमंत्रण==
प्रिय धर्मेन्द्र जी!
आप ’निशा निमंत्रण’ को टाईप कर लीजिए। फिर मैं अपनी सुविधा से उसको आरम्भ से अन्त तक पूरा देख लूंगा और मूल कविताओं से टाईप की हुई कविताओं का मिलान करके उन्हें सुरक्षित कर दूंगा। सुरक्षित करने के बाद उन पन्नों पर कोई भी बदलाव करना कविता कोश के सहयोगियों के लिए असम्भव हो जाएगा। केवल प्रबन्धक ही फिर बदलाव कर सकेंगे। यह ठीक रहेगा?
सादर
--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] ०५:१८, ४ अक्तूबर २००९ (UTC)
*आप कविता कोश में पहले से उपस्थित पन्नों की त्रुटियों को सुधारने का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। इसी संबंध में आप बहुत से पन्नों के नाम भी बदल रहे हैं; लेकिन ऐसा करते समय आप उस पन्नें की ओर जाने वाले लिंक को नहीं बदल रहे हैं। उदाहरण के लिये आपने "जलसाघर(कविता) / श्रीकांत वर्मा" का नाम बदलकर "जलसाघर (कविता) / श्रीकांत वर्मा" कर दिया गया है। लेकिन श्रीकांत वर्मा के "जलसाघर" नामक संग्रह पर इस कविता के लिंक में आपने यह बदलाव नहीं किया। लिंक अभी भी "जलसाघर(कविता) / श्रीकांत वर्मा" की ओर ही जाता है (और फिर वहाँ से redirect हो कर नये नाम वाले पन्ने तक पहुँचता है)। यदि आप लिंक्स भी बदल देंगे तो बेहतर होगा।
प्रिय धर्मेन्द्र जी!
मुझे अभी एक-दो हफ़्ते लग जाएंगे क्योंकि बच्चन जी की पूरी रचनावली मेरे दूसरे फ़्लैट में बनी मेरी लाइब्रेरी में रखी है। वह फ़्लैट थोड़ा दूर है। जब मुझे समय मिलेगा, मैं जाकर बच्चन जी की वे किताबें उठा लाऊंगा, जो आप टंकित कर चुके हैं और एक-दो दिन लग कर सब पूरी तरह से देख डालूंगा।
सादर
--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १८:३०, ५ अक्तूबर २००९ (UTC)
*
प्रिय धर्मेन्द्र जी!आप ख़ूब काम कर रहे हैं। मैं दो दिन इस गली में न आया, और आपने दो दिन में ही झंडे गाड़ दिए। मेरी बधाई और शुभकामनाएँ। आप ऐसे ही सक्रिय रहें। मेरी यही इच्छा और कामना है कि आप कभी विश्राम न करें और हिन्दी के इस महायज्ञ में हमारा हाथ बँटाते रहें।सादर'''--[[सदस्य:अनिल जनविजयसम्यक|अनिल जनविजयसम्यक]] १३09:३२10, ७ अक्तूबर २००९ 29 दिसम्बर 2009 (UTC)'''
प्रिय धर्मेन्द्र जी!===टीम के सदस्य===अगर किसी बन्धुवर,आपने यह नोट कर लिया होगा कि आपको कविताकोश टीम का सहयोगी सदस्य बना लिया गया है। जल्दी ही कुछ आवश्यक अधिकार भी कवि आपको सौंप दिए जाएंगे। लेकिन उससे पहले टीम की एक कविता या कुछ कविताएँ कई-कई संग्रहों मीटिंग में दुहराई जाती हैं तो आम तौर उस संग्रह का नाम लिखा जाता सब तय करना होगा। इसलिए इस काम में थोड़ा समय लगेगा। आशा है, जिसमें वो सबसे पहले छपी थी या फिर जो संग्रह पहले प्रकाशित हुआ था।आप थोड़ा-सा धीरज रखेंगे।
सादर
--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १५21:४९53, ७ अक्तूबर २००९ 1 जनवरी 2010 (UTC)
== नाम बदलते समय नाम में उपस्थित त्रुटियों को भी ठीक करते जाएँ ==
प्रिय धर्मेन्द्र जी,
आशा है आप सकुशल है , कृपया नाम बदलते समय नाम में उपस्थित त्रुटियों को भी ठीक करते जाएँ ,
ज़्यादातर ये त्रुटियाँ अनावश्यक चन्द्र बिंदु के प्रयोग या उर्दू के शब्दों के गलत प्रयोग की हैं
जैसे अभी रघुनाथ जी के कविता में ----------------- भातें में, तें में चन्द्र बिंदी का प्रयोग था जो कि गलत था,
ऐसे ही अभी आपने सूरदास जी की एक रचना के नाम को बदला है जिसमें मैं, में बिंदी की जगह चन्द्र बिंदु का प्रयोग है
साथ-साथ ठीक करते जाने से समय और मेहनत दोनों का सदुपयोग हो सकेगा
कृपया छंद में कविता की श्रेणी देने से पहले एक बार इस विषय पर अनिल जी से चर्चा कर ले
मेरे विचार से छंद जो की चार पंक्तियों का है वो कविता की श्रेणी में नहीं जाना चाहिए बाकि अनिल जी भाषा के विद्वान् है वही ज्यादा बेहतर बता सकते हैं
निराला जी की 'अनामिका' पूरी होने पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें
सच कहूँ तो आपको देख कर मैं भी लग कर एक किताब पर काम कर रही हूँ वरना मुझे भटकने की बहुत पुरानी आदत है
कुछ किसी किताब से किसी शायर का तो कभी कोई दूसरी किताब हाथ लग गई तो किसी और शायर का कुछ जोड़ दिया
आधा काम यहाँ तो आधा वहां और नतीजा कोई भी पूरा नहीं हाहाहा हा
पर अब लगता है कि अब आपके साथ काम करते करते मैं भी एक ही किताब पूरी टाइप करने के बाद ही दूसरी किताब शुरू करुँगी
ऐसे ही लगन से आप आगे बढ़ते जाएँ यही प्रार्थना है
--[[सदस्य:Shrddha|Shrddha]] ०८:०३, १४ अक्टूबर २००९ (UTC)
==सूरदास==
प्रिय धर्मेन्द्र जी!
जिस पन्ने पर सूरदास का पद लिखा हुआ है, उसी पन्ने पर उसका भावार्थ पद के साथ देना ही उचित है। यह ज़रूरी नहीं कि हर पाठक पद को तुरन्त समझ ही लेता है। पद पढ़ने के बाद या पद को पढ़ने के साथ-साथ वह पंक्ति-दर-पंक्ति उसका भावार्थ भी जानना चाहता है और ऐसा तभी सुविधाजनक होता है जब भावार्थ उसी पन्ने पर हो जिस पर पद है। अलग पन्ने पर भावार्थ ढूँढ़कर उसे पढ़ना पाठक के लिए एक कठिन प्रक्रिया होगी। उसे कुछ अतिरिक्त बटन दबाने होंगे, बार-बार आगे-पीछे भागना-दौड़ना होगा जो असुविधाजनक होगा।
दूसरी बात यह है कि हम इस कोश को छात्रों और विद्यार्थियों के लिए तथा विदेशी पाठकों के लिए भी तैयार कर रहे हैं ताकि उनके लिए भी यह लाभप्रद रहे। उन्हें सुविधा एक ही जगह पर पद और भावार्थ मिल जाने में ही होगी।
सादर
--[[सदस्य:अनिल जनविजयShrddha|अनिल जनविजयShrddha]] १४08:३८33, १९ अक्टूबर २००९ 2 जनवरी 2010 (UTC)
== एक रचना एक से अधिक संग्रहों में... नये अधिकार ==
नमस्कारप्रिय धर्मेंद्र,
पिछले दिनों अमिताभ जी, श्रद्धा और धर्मेन्द्र कुमार को [[कविता कोश में रचनाएँ जोड़ते समय एक समस्या का सामना करना पड़ा था। यदि एक ही रचना किसी कवि टीम]] के एक से अधिक संग्रहों में प्रकाशित हुई हो तो क्या उस रचना को हर संग्रह के लिये अलग-अलग टाइप करना चाहिये? इसका जवाब है "नहीं"...आदेश पर आपको निम्नलिखित अधिकार प्रदान किये गए हैं:
* पन्नों को डीलीट करना
* चित्रों को री-अपलोड करना
* पन्नों को सुरक्षित व असुरक्षित करना
आज मैनें KKRachna टैम्प्लेट के कोड में कुछ बदलाव किये हैं। इससे अब आशा है कि आप किसी भी रचना को एक से अधिक संग्रहों इन अधिकारों का हिस्सा बता सकते हैं। समुचित प्रयोग करेंगे। आपको कविता कोश टीम ने सहयोगी सदस्य बनाया है इसके लिये आपको संग्रहों के नामों को सेमी-कोलन (;) से अलग करना होगा। उदाहरण के लिये:हार्दिक बधाई।
'''--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] 08:49, 2 जनवरी 2010 (UTC)'''
प्रिय धर्मेन्द्र जी!’कविता’ श्रेणी में यद्यपि सभी कविताएँ आती हैं, लेकिन हमने कोश में ये श्रेणियाँ कुछ दूसरे ढंग से विभाजित की हुई हैं। अभी तक यह विभाजन का काम पूरा नहीं किया है। लेकिन अब आपकी सहायता से इस काम को कर डालते हैं। अभी तक जो श्रणियाँ हैं, वे इस प्रकार हैं : <nowiki>{{KKRachnaKKCatNazm}}</nowiki> <nowiki>|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"{{KKCatKataa}}</nowiki> <nowiki>|संग्रह=परिमल {{KKCatKavita}}</ सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला";अनामिका nowiki><nowiki>{{KKCatGeet}}</ सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"nowiki><nowiki>{{KKCatGhazal}}</nowiki> <nowiki>{{KKShayar}}</nowiki><nowiki>{{KKCatMahilaRachnakar}}</nowiki><nowiki>{{KKCatNavgeetkaar}}</nowiki><nowiki>{{KKCatNavgeet}}</nowiki>जल्दी ही दूसरी श्रणियाँ भी तय कर लेंगे। श्रद्धा, आप और मैं मिलकर इस काम को कर लेते हैं। इस बारे में आप भी सोचिए, मैं भी सोचता हूँ और श्रद्धा को भी कह देता हूँ। उसके बाद मिलकर तय कर लेंगे। दो सप्ताह का समय हमारे पास है।सादर--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] 09:05, 2 जनवरी 2010 (UTC)
== KKGlobal ==
इस उदाहरण में रचना को 2 संग्रहों (''परिमल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"'' और ''अनामिका / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"'') का हिस्सा बताया गया है। ध्यान दीजिये कि दोनों संग्रहों के नाम सेमी-कोलन (;) से अलग किये गये हैं। इस तरह ज़रूरत पड़ने पर आप किसी रचना को कितने भी संग्रहों का हिस्सा बता सकते हैं। प्रिय धर्मेंन्द्र,
आपने KKGlobal में जो बदलाव किया है वह ठीक है। लेकिन कृपया KKGlobal या उसमें इस्तेमाल की गयी अन्य टेम्प्लेट्स को ऐसी छोटी बातों के लिये ना बदलें। आपने ऐसा किया क्योंकि आपको जानकारी नहीं थी कि जब भी किसी टेम्प्लेट में बदलाव किया जाता है तो सर्वर उन सभी पन्नों को एक-एक करके बदलता है जिनमें वह टेम्प्लेट प्रयोग की गयी है। इसलिये अगर KKParichay में कोई बदलाव होगा तो तकरीबन 1100 पन्नें बदलें जाएंगे और यदि KKGlobal या उससे जड़ी कोई भी टेम्प्लेट बदली जाती है तो (इस समय) 26,000 से ज़्यादा पन्नों में बदलाव होंगे। इससे सर्वर पर फ़िज़ूल भार पड़ता है। 26,000 पन्नों को बदलने में सर्वर 10 से 20 घंटे का समय लेता है। KKGlobal एक अति महत्वपूर्ण टेम्प्लेट है। इसमें बदलाव बहुत सोच-समझ कर किये जाने चाहिये।
इस सुविधा का कई बार मुझे इन टेम्प्लेट्स में फ़िज़ूल या बहुत छोटे बदलाव Save करने के लिये मजबूर होना पड़ता है क्योंकि उस समय मैं कोई experiment कर रहा होता हूँ और कई बार ऐसा होता है कि बिना Save किये उस प्रयोग होते हुए आप यहाँ देख सकते हैं: [[मित्र के प्रति / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"]]नतीज़े नहीं दिखाई देते। अन्यथा मैं किसी भी पन्नें को केवल तब Save करता हूँ जब मैं उसमें वो सभी बदलाव एक साथ कर लूं जो मैं करना चाहता हूँ।
आशा है यह जानकारी लाभदायक सिद्ध हो्गी।
आशा है आपको यह सुविधा उपयोगी लगेगी।'''--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] 07:22, 4 जनवरी 2010 (UTC)'''
ओह्ह मुझे लगा कि त्रुटि है दीख तो वर्तनी अशुद्धि में आएगा, दीख नहीं होता है दिख होता है
मगर आपने किताब में देखा है तो ज़रूर सही होगा
शुक्रिया आपने इसे फिर से ठीक कर दिया
सादर
'''श्रद्धा --[[सदस्य:सम्यकShrddha|सम्यकShrddha]] २१14:३५31, १९ अक्टूबर २००९ 4 जनवरी 2010 (UTC)'''`aroma