भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साँचा:KKPoemOfTheWeek

94 bytes removed, 19:20, 14 फ़रवरी 2010
<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: बलि-बलि जाऊँकिस तरह मिलूँ तुम्हें<br>&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[श्रीधर पाठकपवन करण]]</td>
</tr>
</table>
<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
1.किस तरह मिलूँ तुम्हें
भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँक्यों न खाली क्लास रूम मेंबलि-बलि जाऊँ हियरा लगाऊँकिसी बेंच के नीचेहरवा बनाऊँ घरवा सजाऊँऔर पेंसिल की तरह पड़ामेरे जियरवा का, तन का, जिगरवा कातुम चुपचाप उठाकरमन का, मँदिरवा का प्यारा बसैयामैं बलि-बलि जाऊँभारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ रख लो मुझे बस्ते में
2.क्यों न किसी मेले मेंऔर तुम्हारी पसन्द के रंग मेंरिबन की शक़्ल में दूँ दिखाईऔर तुम छुपाती हुई अपनी ख़ुशीखरीद लो मुझे
भोली-भोली बतियाँ, साँवली सुरतियाया कि कुछ इस तरह मिलूँकाली-काली ज़ुल्फ़ोंवाली मोहनी मुरतियाजैसे बीच राह में टूटीमेरे नगरवा का, मेरे डगरवा कातुम्हारी चप्पल के लिएमेरे अँगनवा का, क्वारा कन्हैयामैं बलि-बलि जाऊँभारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँबहुत ज़रूरी पिन
</pre>
<!----BOX CONTENT ENDS------>
</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,726
edits