भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कितनी पी कैसे कटी रात / राहत इन्दौरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राहत इन्दौरी }} Category:ग़ज़ल <poem> कितनी पी कैसे कटी र...)
 
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
  
 
मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ
 
मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ
थाम ले कोई मेरा हाथ कुझे होश नहीं
+
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं
  
आंसुओं और शराबों में गुजारी है हयात
+
आँसुओं और शराबों में गुजारी है हयात
 
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं
 
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं
  
जाने क्या टूटा है, पैमाना कि दिल है मेरा
+
जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा
 
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं
 
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं

10:20, 15 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं
रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं

मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं

आँसुओं और शराबों में गुजारी है हयात
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं

जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं