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"दोस्ती जब किसी से की जाये / राहत इन्दौरी" के अवतरणों में अंतर

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मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में,  
 
मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में,  

10:43, 15 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

दोस्ती जब किसी से की जाये|
दुश्मनों की भी राय ली जाये|

मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में,
अब कहाँ जा के साँस ली जाये|

बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ,
ये नदी कैसे पार की जाये|

मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे,
आज फिर कोई भूल की जाये|

बोतलें खोल के तो पी बरसों,
आज दिल खोल के भी पी जाये|