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"सकल बन फूल रही सरसों / अमीर खुसरो" के अवतरणों में अंतर

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अम्बवा फूटे, टेसू फूले, कोयल बोले डार डार,
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और गोरी करत शृंगार,
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सगन बिन फूल रही सरसों।
मलनियां गढवा ले आइं करसों,
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सगन बिन फूल रही सरसों।
सकल बन फूल रही...
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अम्बवा फूटे, टेसू फूले, कोयल बोले डार-डार,
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और गोरी करत सिंगार,
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मलनियाँ गेंदवा ले आईं कर सों,
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सगन बिन फूल रही सरसों।
 
तरह तरह के फूल खिलाए,
 
तरह तरह के फूल खिलाए,
ले गढवा हातन में आए ।
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ले गेंदवा हाथन में आए।
निजामुदीन के दरवाजे पर,
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निजामुदीन के दरवज़्ज़े पर,
 
आवन कह गए आशिक रंग,
 
आवन कह गए आशिक रंग,
और बीत गए बरसों ।
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और बीत गए बरसों।
सकल बन फूल रही सरसों ।
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सगन बिन फूल रही सरसों।
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21:14, 15 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

सगन बिन फूल रही सरसों।
सगन बिन फूल रही सरसों।
अम्बवा फूटे, टेसू फूले, कोयल बोले डार-डार,
और गोरी करत सिंगार,
मलनियाँ गेंदवा ले आईं कर सों,
सगन बिन फूल रही सरसों।
तरह तरह के फूल खिलाए,
ले गेंदवा हाथन में आए।
निजामुदीन के दरवज़्ज़े पर,
आवन कह गए आशिक रंग,
और बीत गए बरसों।
सगन बिन फूल रही सरसों।