"कड़ी जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां / पंजाबी" के अवतरणों में अंतर
Sharda monga (चर्चा | योगदान) |
Sharda monga (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
मैं इक थाईं दो जणदी, जगया! | मैं इक थाईं दो जणदी, जगया! | ||
− | + | हाय टुट्टी होई माँ दे कलेजे छुरा वजया | |
01:22, 16 फ़रवरी 2010 का अवतरण
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां,
के वड्डे हो के डाके डालदा, जगया,
के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,
-जग्गा, जमया ते मिलन वधाईयां,
के सारे पिंड गुड वण्डया, जगया,
के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,
जग्गे मारया लैलपुर डाका,
के तारां खड़क गईयाँ आप्पे
तारीखां पुगतनगे तेरे माप्पे
-जे मैं जाणदी जग्गे मर जाणा,
मैं इक थाईं दो जणदी, जगया!
हाय टुट्टी होई माँ दे कलेजे छुरा वजया
-जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया,
ते भैण दा सुहाग चुमके, मखना,
के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना,
-जग्गा मारया बोड दी छां ते,
के नौ मण रेत भिज गयी, सूरना !
हाय नईयां ने वड छड्या जग्गा सूरमा,
-चली दुक्खां दी अन्हेरी ऐसी,
के दीवे वाली लाट बुझ गयी, चानना!
वे तेरे बिना मान कित्थे नहिंयों जानना?
- वे तू दुक्ख पुत्तरां दा वेखें,
वे टूटे तेरा मान हाकमा, ढोल वे!
के गंगाजल विच क्यों दित्तइ जहर घोल वे,
-सानू शगणा दा कर दे लीरा,
के छड़ेयां दा पुन्न तोड़ दे, हाल नी!
के होणी खेड गयी, चाल नेरे नाळ नी,
-बारी खोल के यारी दी लाज रख लै,
मित्तरो! तेरे चन दी, नारे नी
देख तेनु सज्जन बुए ते वाजाँ मारे नी,
-लम्ब होकयां दे बल पये औंदे,
के खदरान नू अग्ग लग गई, हाय नी!
के भौर उड़ गये ते फुल कुम्ल्हाने नी.
-जग्गा, जमया ते मिलन वधाईयां,
जगया, के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,