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"जीवन तुझे समर्पित किया / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह, मैं चलता ही आया अहरह | सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह, मैं चलता ही आया अहरह | ||
− | मिला गरल भी तुझसे तो वह, | + | मिला गरल भी तुझसे तो वह, अमृत मान कर पिया |
− | जग ने रत्नकोष है लूटा, मिला | + | जग ने रत्नकोष है लूटा, मिला तंबूरा मुझको टूटा |
उसपर भी जब भी स्वर फूटा, मैने कुछ गा लिया | उसपर भी जब भी स्वर फूटा, मैने कुछ गा लिया |
10:28, 13 जनवरी 2007 का अवतरण
कवि: गुलाब खंडेलवाल
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जीवन तुझे समर्पित किया
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
पग पग पर फूलों का डेरा, घेरे था रंगों का घेरा
पर मै तो केवल बस तेरा, तेरा होकर जिया
सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह, मैं चलता ही आया अहरह
मिला गरल भी तुझसे तो वह, अमृत मान कर पिया
जग ने रत्नकोष है लूटा, मिला तंबूरा मुझको टूटा
उसपर भी जब भी स्वर फूटा, मैने कुछ गा लिया
जीवन तुझे समर्पित किया
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया