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सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह, मैं चलता ही आया अहरह
मिला गरल भी तुझसे तो वह, अमत अमृत मान कर पिया
जग ने रत्नकोष है लूटा, मिला तमबूरा तंबूरा मुझको टूटा
उसपर भी जब भी स्वर फूटा, मैने कुछ गा लिया
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