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"गुजरात-2002. / कात्यायनी" के अवतरणों में अंतर

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21:38, 16 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

भूतों के झुण्ड गुज़रते हैं
कुत्तों-भैसों पर हो सवार
जीवन जलता है कण्डों-सा
है गगन उगलता अन्धकार।

यूँ हिन्दू राष्ट्र बनाने का
उन्माद जगाया जाता है
नरमेध यज्ञ में लाशों का
यूँ ढेर लगाया जाता है।

यूँ संसद में आता बसन्त
यूँ सत्ता गाती है मल्हार
यूँ फासीवाद मचलता है
करता है जीवन पर प्रहार।

इतिहास रचा यूँ जाता है
ज्यों हो हिटलर का अट्टहास
यूँ धर्म चाकरी करता है
पूँजी करती वैभव-विलास।

रचनाकाल : अप्रैल, 2002