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"मेरी मातृभूमि / भरत प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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02:11, 18 फ़रवरी 2010 का अवतरण

ओ मेरी विशाल और
महान मातृभूमि
मैं आज
तुम्हारी ममतामयी धूल और मिट्टी को
साष्टांग प्रणाम करता हूँ।

सदा हरी-भरी तुम्हारी गोद
प्रसन्न फूलों से पूर्ण
तुम्हारे पानी, फल और अन्न
हमें बहुत शक्ति देते हैं।

माँ तुम तो
प्रेम, शान्ति और करुणा की
जननी हो,
तुमने पाठ पढ़ाया है कि
अपने सम्पूर्ण हृदय से
सच्चा प्र्म करो।
बुद्ध, महावीर, मोहनदास
और नरेन्द्रनाथ
माँ, तुम्हारे महान पुत्र हैं--
जिन्होंने आदर्श मार्ग प्रकाशित किया।

हम सभी सच्चे हृदय से
तुम्हारी मिट्टी और धूल को
साष्टांग प्रणाम करते हैं!