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"इसी चमन में ही हमारा भी इक ज़माना था / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर
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17:39, 20 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
इसी चमन में ही हमारा भी इक ज़माना था
यहीं कहीं कोई सादा सा आशियाना था
नसीब अब तो नहीं शाख़ भी नशेमन की
लदा हुआ कभी फूलों से आशियाना था
तेरी क़सम अरे ओ जल्द रूठनेवाले
गुरूर-ए-इश्क़ न था नाज़-ए-आशिक़ाना था
तुम्हीं गुज़र गये दामन बचाकर वर्ना यहाँ
वही शबाब वही दिल वही ज़माना था