भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बंदिनी / ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना<br /> ये घाट तू ये बाट कहीं भूल न जाना<br /…)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना<br />
+
{{KKGlobal}}
ये घाट तू ये बाट कहीं भूल न जाना<br />
+
{{KKFilmSongCategories
 +
|वर्ग=अन्य गीत
 +
}}
 +
{{KKFilmRachna
 +
|रचनाकार=
 +
}}
 +
<poem>
 +
ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना
 +
ये घाट तू ये बाट कहीं भूल न जाना
  
बचपन के तेरे मीत तेरे संग के सहारे<br />
+
बचपन के तेरे मीत तेरे संग के सहारे
ढूँढेंगे तुझे गली गली सब ये ग़म के मारे<br />
+
ढूँढेंगे तुझे गली गली सब ये ग़म के मारे
पूछेगी हर निगाह कल तेरा ठिकाना<br />
+
पूछेगी हर निगाह कल तेरा ठिकाना
ओ जानेवाले...<br />
+
ओ जानेवाले...
  
है तेरा वहाँ कौन सभी लोग हैं पराए<br />
+
है तेरा वहाँ कौन सभी लोग हैं पराए
परदेस की गरदिश में कहीं तू भी खो ना जाए<br />
+
परदेस की गरदिश में कहीं तू भी खो ना जाए
काँटों भरी डगर है तू दामन बचाना<br />
+
काँटों भरी डगर है तू दामन बचाना
ओ जानेवाले...<br />
+
ओ जानेवाले...
  
दे दे के ये आवाज़ कोई हर घड़ी बुलाए<br />
+
दे दे के ये आवाज़ कोई हर घड़ी बुलाए
फिर जाए जो उस पार कभी लौट के न आए<br />
+
फिर जाए जो उस पार कभी लौट के न आए
है भेद ये कैसा कोई कुछ तो बताना<br />
+
है भेद ये कैसा कोई कुछ तो बताना
 
ओ जानेवाले...
 
ओ जानेवाले...
 +
</poem>

11:44, 21 फ़रवरी 2010 का अवतरण

रचनाकार:                  

ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना
ये घाट तू ये बाट कहीं भूल न जाना

बचपन के तेरे मीत तेरे संग के सहारे
ढूँढेंगे तुझे गली गली सब ये ग़म के मारे
पूछेगी हर निगाह कल तेरा ठिकाना
ओ जानेवाले...

है तेरा वहाँ कौन सभी लोग हैं पराए
परदेस की गरदिश में कहीं तू भी खो ना जाए
काँटों भरी डगर है तू दामन बचाना
ओ जानेवाले...

दे दे के ये आवाज़ कोई हर घड़ी बुलाए
फिर जाए जो उस पार कभी लौट के न आए
है भेद ये कैसा कोई कुछ तो बताना
ओ जानेवाले...