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"माचिस / पानी पानी रे" के अवतरणों में अंतर

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22:27, 21 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

रचनाकार: ??                 

पानी पानी रे खारे पानी रे
नैनों में भर जा
नींदें खाली कर जा

पानी-पानी इन पहाड़ों की ढलानों से
उतर जाना
धुआँ-धुआँ कुछ वादियाँ भी आयेंगी
गुज़र जाना
एक गाँव आयेगा मेरा घर आयेगा
जा मेरे घर जा
नींदें खाली कर जा

ये रुदाली जैसी रातें जगरातों में
बिता देना
मेरी आँखों में जो बोले मीठे पाखी तो
उड़ा लेना
बर्फ़ों में लगे मौसम पिघले
मौसम हरे कर जा
नींदें खाली कर जा