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"इशारा / पनघट पे मुरलिया बाजे" के अवतरणों में अंतर
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रचनाकार: ?? |
पनघट पे मुरलिया बाजे, पनघट पे मुरलिया बाजे।
मोहन के मुख बाँस की पोरी साँच कहूँ बहु साजे।। पनघट पे...
एक ओर जमुना लहराए, दूजे मोर बन शोर मचाए।
बीच में श्याम विराजे । पनघट पे...
टेर सुनी बिजली मुस्काई, घन में घोर घटा है छाई।
घाट पार कोई खड़ी पुकारे, मन के बादल गाजे।। पनघट पे...