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अनुराग / त्रिलोचन
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23:41, 21 फ़रवरी 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अतिथि से सब का समभाव है;
जब उषा उतरी तब भूमि का
हुलसना, खिलना, किस से छिपा,
पकड़ है जिसमें अनुराग है
.
।
</poem>
अनिल जनविजय
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