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दुखों की छाया / त्रिलोचन

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|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
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दुखों की छाया में यह भव बसा है, नियति की
 
सदिच्छा होगी तो कुछ दिन कटेंगे, समय के
 सधे आयामों में. भ्रम भ्रम रहेगा कि सच का कभी पल्ला लेगा; श्वसन ठहरेगा विजन में.</poem>
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