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"दुखों की छाया / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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दुखों की छाया में यह भव बसा है, नियति की
 
दुखों की छाया में यह भव बसा है, नियति की
 
 
सदिच्छा होगी तो कुछ दिन कटेंगे, समय के
 
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सधे आयामों में भ्रम भ्रम रहेगा कि सच का
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कभी पल्ला लेगा; श्वसन ठहरेगा विजन में
 
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कभी पल्ला लेगा; श्वसन ठहरेगा विजन में.
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05:16, 22 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

दुखों की छाया में यह भव बसा है, नियति की
सदिच्छा होगी तो कुछ दिन कटेंगे, समय के
सधे आयामों में । भ्रम भ्रम रहेगा कि सच का
कभी पल्ला लेगा; श्वसन ठहरेगा विजन में ।