भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कला के अभ्यासी / त्रिलोचन

29 bytes added, 23:50, 21 फ़रवरी 2010
|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
कहेंगे जो वक्ता बन कर भले वे विकल हों,
 
कला के अभ्यासी क्षिति तल निवासी जगत के
 
किसी कोने में हों, समझ कर ही प्राण मन को,
 करेंगे चर्चाएँ मिल कर स्मुत्सुक हॄदय से .</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,226
edits