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"कला के अभ्यासी / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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05:20, 22 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
कहेंगे जो वक्ता बन कर भले वे विकल हों,
कला के अभ्यासी क्षिति तल निवासी जगत के
किसी कोने में हों, समझ कर ही प्राण मन को,
करेंगे चर्चाएँ मिल कर स्मुत्सुक हॄदय से ।