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"कोयल / सुभद्राकुमारी चौहान" के अवतरणों में अंतर

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देखो कोयल काली है पर
 
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मीठी है इसकी बोली
 
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इसने ही तो कूक कूक कर
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आमों में मिश्री घोली
  
इसने ही तो कूक-कूक कर
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कोयल कोयल सच बतलाना
 
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आमों में मिसरी घोली
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कोयल! कोयल! सच बतलाओ
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बहुत दिनों के बाद आज फिर
 
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इस डाली पर आई हो
  
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क्या गाती हो किसे बुलाती
 
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बतला दो कोयल रानी
 
बतला दो कोयल रानी
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प्यासी धरती देख मांगती
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हो क्या मेघों से पानी?
  
प्‍यासी धरती देख माँगती
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कोयल यह मिठास क्या तुमने
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अपनी माँ से पायी है?
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माँ ने ही क्या तुमको मीठी
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बोली यह सिखलायी है?
  
हो क्‍या मेघों से पानी?
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डाल डाल पर उड़ना गाना
 
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जिसने तुम्हें सिखाया है
 
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सबसे मीठे मीठे बोलो
कोयल! यह मिठास क्‍या तुमने
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यह भी तुम्हें बताया है
 
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अपनी माँ से पाई है
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माँ ने क्‍या तुमको मीठी
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बोली यह सिखलाई है?
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जिसने तुम्‍हें सिखाया है
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यह भी तुम्‍हें बताया है।
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बहुत भ‍ली हो तुमने माँ की
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बहुत भली हो तुमने माँ की
 
बात सदा ही है मानी
 
बात सदा ही है मानी
 
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इसीलिये तो तुम कहलाती
इसीलिए तो तुम कहलाती
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हो सब चिड़ियों की रानी
 
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हो सब चिडियो की रानी।
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01:27, 23 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

देखो कोयल काली है पर
मीठी है इसकी बोली
इसने ही तो कूक कूक कर
आमों में मिश्री घोली

कोयल कोयल सच बतलाना
क्या संदेसा लायी हो
बहुत दिनों के बाद आज फिर
इस डाली पर आई हो

क्या गाती हो किसे बुलाती
बतला दो कोयल रानी
प्यासी धरती देख मांगती
हो क्या मेघों से पानी?

कोयल यह मिठास क्या तुमने
अपनी माँ से पायी है?
माँ ने ही क्या तुमको मीठी
बोली यह सिखलायी है?

डाल डाल पर उड़ना गाना
जिसने तुम्हें सिखाया है
सबसे मीठे मीठे बोलो
यह भी तुम्हें बताया है

बहुत भली हो तुमने माँ की
बात सदा ही है मानी
इसीलिये तो तुम कहलाती
हो सब चिड़ियों की रानी