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"गम की बारिश ने भी तेरे नक्श को धोया नहीं / मुनीर नियाज़ी" के अवतरणों में अंतर
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09:53, 25 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
गम की बारिश ने भी तेरे नक्श को धोया नहीं
तूने मुझको खो दिया, मैंने तुझे खोया नहीं
नींद का हल्का गुलाबी सा खुमार आंखों में था
यूँ लगा जैसे वो शब को देर तक सोया नहीं
हर तरफ़ दीवार-ओ-दर और उनमें आँखों का हुजूम
कह सके जो दिल की हालत वो लबे-गोया नहीं
जुर्म आदम ने किया और नस्ले-आदम को सजा
काटा हूँ जिंदगी भर मैंने जो बोया नहीं
जानता हूँ एक ऐसे शख्स को मैं भी 'मुनीर'
गम से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं