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"वो दिन भी आने वाला है / मुनीर नियाज़ी" के अवतरणों में अंतर

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हर जज़्बा मिट जायेगा  
 
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तेरे बाल जिंहें देखें तो  
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सावान की घनघोर घटायें  
 
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आँखों में लहराती हैं  
 
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होंठ रसीले  
 
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ध्यान में लाखों फूलों की  
 
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वो दिन दूर नहीं जब इन पर  
 
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पतझर की रुत छा जायेगी  
 
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और उस पतझर के मौसम की  
 
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किसी अकेली शाम की चुप में  
 
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जैसे कोई किसी जंगल में  
 
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गीत सुहाने गाता है  
 
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-तुझ को पास बुलाता है
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तुझ को पास बुलाता है
  
 
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10:11, 25 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

वो दिन भी आने वाला है
जब तेरी इन काली आँखों में
हर जज़्बा मिट जायेगा
तेरे बाल जिनहें देखें तो
सावान की घनघोर घटायें
आँखों में लहराती हैं

होंठ रसीले
ध्यान में लाखों फूलों की
महकार जगायें
वो दिन दूर नहीं जब इन पर
पतझर की रुत छा जायेगी

और उस पतझर के मौसम की
किसी अकेली शाम की चुप में
गये दिनों की याद आयेगी
जैसे कोई किसी जंगल में
गीत सुहाने गाता है

तुझ को पास बुलाता है