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"किस किस अदा से तूने जलवा दिखा के मारा / अकबर इलाहाबादी" के अवतरणों में अंतर
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आज़ाद हो चुके थे, बन्दा बना के मारा | आज़ाद हो चुके थे, बन्दा बना के मारा | ||
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− | फिर उसको ख़ुद क़ज़ा की सूरत में आके मारा | + | फिर उसको ख़ुद क़ज़ा<ref>मौत</ref> की सूरत में आके मारा |
आँखों में तेरी ज़ालिम छुरियाँ छुपी हुई हैं | आँखों में तेरी ज़ालिम छुरियाँ छुपी हुई हैं | ||
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इसको हँसा के मारा, उसको रुला के मारा | इसको हँसा के मारा, उसको रुला के मारा | ||
− | सोसन की तरह 'अकबर', ख़ामोश हैं यहाँ पर | + | सोसन<ref>एक कश्मीरी पौधा</ref> की तरह 'अकबर', ख़ामोश हैं यहाँ पर |
नरगिस में इसने छिप कर आँखें लड़ा के मारा | नरगिस में इसने छिप कर आँखें लड़ा के मारा | ||
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10:24, 26 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
किस-किस अदा से तूने जलवा दिखा के मारा
आज़ाद हो चुके थे, बन्दा बना के मारा
अव्वल<ref>पहले</ref> बना के पुतला, पुतले में जान डाली
फिर उसको ख़ुद क़ज़ा<ref>मौत</ref> की सूरत में आके मारा
आँखों में तेरी ज़ालिम छुरियाँ छुपी हुई हैं
देखा जिधर को तूने पलकें उठाके मारा
ग़ुंचों में आके महका, बुलबुल में जाके चहका
इसको हँसा के मारा, उसको रुला के मारा
सोसन<ref>एक कश्मीरी पौधा</ref> की तरह 'अकबर', ख़ामोश हैं यहाँ पर
नरगिस में इसने छिप कर आँखें लड़ा के मारा
शब्दार्थ
<references/>