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20:25, 27 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
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सब मुझे चिढ़ाते हैं
कहते हैं- कूदो
ये करो, वो करो, फुटबाल खेलो
दूर तक दौड़ो, तैरो और उड़ने लगो
अच्छी बात है
सब मुझे चिढ़ाते हैं
कहते हैं-
बिल्कुल हिलना-डुलना मत
सबने डॉक्टर बुलाया है
पता नहीं कैसी नज़र से
मुझे देख रहे हैं
यह सब हो क्या रहा है
सब मुझे चिढ़ाते हैं
कहते हैं- बाहर जाओ
भीतर आओ, निकल जाओ
नहीं, बाहर मत जाना
मुझे मर जाने के लिए कहते हैं
मुझे नहीं मरने के लिए कहते हैं
इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
सब कहते हैं-
असल में गड़बड़ी मुझमें ही है
एक्सरे देखकर उनकी आँखें फटी रह गईं
मैं उनसे सहमत नहीं हूँ
एक बड़ा भारी काँटा लेकर
लोग मेरी कविता को खोद रहे हैं
बिला शक वे लोग ढूँढ़ रहे हैं कोई मक्खी
मुझे डर लगता है
मुझे डर लगता है सारी दुनिया से
मुझे डर लगता है बेहद ठंडे पानी से, मौत से
मौत तो होनी ही है हर किसी की तरह
मुझे भी कोई ढाढ़स बँधा नहीं पाएगा
इसलिए
इन छोटे-छोटे दिनों में
मैं इन सबको शामिल नहीं करूँगा
मेरा सबसे बेईमान दुश्मन है
पाब्लो नेरूदा
उसके ज़रिए इस बार मैं
अपने ख़ुद को खोलूँगा और बंद करूँगा।
अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय