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|रचनाकार=इंदीवर
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{{KKCatKavita}}{{KKCatGeet}}[[Category:गीत]]
<poem>
ऐ मेरे हमसफ़र चंदन सा बदन चंचल चितवनले रोक अपनी नज़र धीरे से तेरा ये मुस्कानाना देख इस कदर मुझे दोष न देना जग वालों - (२)ये दिल है बड़ा बेसबर हो जाऊँ अगर मैं दीवानाचंदन सा ...
चांद तारों से पूछ ले ये काम कमान भँवे तेरीया किनारो से पूछ ले दिल पलकों के मारो से पूछ ले किनारे कजरारेक्या माथे पर सिंदूरी सूरजहोंठों पे दहकते अंगारेसाया भी जो तेरा पड़ जाए - (२)आबाद हो रहा है असर दिल का वीरानाचंदन सा ...
ले रोक अपनी नज़रतन भी सुंदर मन भी सुंदरना देख इस कदर ये दिल तू सुंदरता की मूरत है बड़ा बेसबर किसी और को शायद कम होगीमुस्कुराती मुझे तेरी बहुत ज़रूरत है चांदनी छा जाती है ख़ामोशीपहले भी बहुत मैं तरसा हूँ - (२)गुनगुनाती है ज़िंदगी ऐसे में हो कैसे गुज़र ले रोक अपनी नज़र ना देख इस कदर ये दिल है बड़ा बेसबरतू और न मुझको तरसानाचंदन सा ...</poem>