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"मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर

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पनघट पै मुरलिया बाजे, अ हा हा हा पन घट पै मुरलिया बाजे।
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मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें
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जैसी भी हो बस आज से तुम मेरी हो
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मेरी ही बनके रहना, मुझे तुमसे है इतना कहना
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मुझे नहीं पूछनी ...
  
मोहन के मुख बाँस की पोरी साँच कहूँ बहु साजे।। पनघट पै...
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बीते हुए कल पे तुम्हारे अधिकार नहीं है मेरा
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उस द्वार पे मैं क्यों जाऊँ जो द्वार नहीं है मेरा
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बीता हुआ कल तो बीत चुका, कल का दुख आज ना सहना
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मुझे नहीं पूछनी ...
  
 
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मैं राम नहीं हूँ फिर क्यूं उम्मीद करूँ सीता की
एक ओर जमुना लहराए, दूजे मोर बन शोर मचाए।
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कोई इन्सानों में ढूँढे क्यों पावनता गंगा की
 
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दुनिया में फ़रिश्ता कोई नहीं, इन्सान ही बनके रहना
बीच में श्याम विराजे । पनघट पै...
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मुझे नहीं पूछनी ...</poem>
 
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टेर सुनी बिजली मुस्काई, घन में घोर घटा है छाई।
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घाट पार कोई खड़ी पुकारे, मन के बादल गाजे।। पनघट पै...
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01:48, 1 मार्च 2010 का अवतरण

मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें
कैसे भी गुज़ारी हों तुमने अपनी रातें
जैसी भी हो बस आज से तुम मेरी हो
मेरी ही बनके रहना, मुझे तुमसे है इतना कहना
मुझे नहीं पूछनी ...

बीते हुए कल पे तुम्हारे अधिकार नहीं है मेरा
उस द्वार पे मैं क्यों जाऊँ जो द्वार नहीं है मेरा
बीता हुआ कल तो बीत चुका, कल का दुख आज ना सहना
मुझे नहीं पूछनी ...

मैं राम नहीं हूँ फिर क्यूं उम्मीद करूँ सीता की
कोई इन्सानों में ढूँढे क्यों पावनता गंगा की
दुनिया में फ़रिश्ता कोई नहीं, इन्सान ही बनके रहना
मुझे नहीं पूछनी ...