भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: पनघट पै मुरलिया बाजे, अ हा हा हा पन घट पै मुरलिया बाजे। मोहन के मुख बाँस क...) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=इंदीवर | ||
+ | }} | ||
+ | [[Category:गीत]] | ||
+ | <poem> | ||
+ | मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें | ||
+ | कैसे भी गुज़ारी हों तुमने अपनी रातें | ||
+ | जैसी भी हो बस आज से तुम मेरी हो | ||
+ | मेरी ही बनके रहना, मुझे तुमसे है इतना कहना | ||
+ | मुझे नहीं पूछनी ... | ||
− | + | बीते हुए कल पे तुम्हारे अधिकार नहीं है मेरा | |
+ | उस द्वार पे मैं क्यों जाऊँ जो द्वार नहीं है मेरा | ||
+ | बीता हुआ कल तो बीत चुका, कल का दुख आज ना सहना | ||
+ | मुझे नहीं पूछनी ... | ||
− | + | मैं राम नहीं हूँ फिर क्यूं उम्मीद करूँ सीता की | |
− | + | कोई इन्सानों में ढूँढे क्यों पावनता गंगा की | |
− | + | दुनिया में फ़रिश्ता कोई नहीं, इन्सान ही बनके रहना | |
− | + | मुझे नहीं पूछनी ...</poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + |
01:48, 1 मार्च 2010 का अवतरण
मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें
कैसे भी गुज़ारी हों तुमने अपनी रातें
जैसी भी हो बस आज से तुम मेरी हो
मेरी ही बनके रहना, मुझे तुमसे है इतना कहना
मुझे नहीं पूछनी ...
बीते हुए कल पे तुम्हारे अधिकार नहीं है मेरा
उस द्वार पे मैं क्यों जाऊँ जो द्वार नहीं है मेरा
बीता हुआ कल तो बीत चुका, कल का दुख आज ना सहना
मुझे नहीं पूछनी ...
मैं राम नहीं हूँ फिर क्यूं उम्मीद करूँ सीता की
कोई इन्सानों में ढूँढे क्यों पावनता गंगा की
दुनिया में फ़रिश्ता कोई नहीं, इन्सान ही बनके रहना
मुझे नहीं पूछनी ...