"है प्रीत जहाँ की रीत सदा / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर
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+ | मैं बात वही दोहराता हूँ | ||
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+ | भारत का रहने वाला हूँ | ||
+ | भारत की बात सुनाता हूँ | ||
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− | + | उस धरती पे मैंने जन्म लिया | |
− | + | ये सोच के मैं इतराता हूँ | |
− | + | भारत का रहने वाला हूँ | |
− | + | भारत की बात सुनाता हूँ | |
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07:58, 1 मार्च 2010 का अवतरण
जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने
भारत ने मेरे भारत ने
दुनिया को तब गिनती आई
तारों की भाषा भारत ने
दुनिया को पहले सिखलाई
देता ना दशमलव भारत तो
यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद की दूरी का
अंदाज़ लगाना मुश्किल था
सभ्यता जहाँ पहले आई
पहले जनमी है जहाँ पे कला
अपना भारत वो भारत है
जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा
ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढ़े
बढ़ता ही रहे और फूले-फले
है प्रीत जहाँ की रीत सदा
मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ
काले-गोरे का भेद नहीं
हर दिल से हमारा नाता है
कुछ और न आता हो हमको
हमें प्यार निभाना आता है
जिसे मान चुकी सारी दुनिया
मैं बात वही दोहराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ
जीते हो किसीने देश तो क्या
हमने तो दिलों को जीता है
जहाँ राम अभी तक है नर में
नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन हैं लोग जहाँ
मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ
इतनी ममता नदियों को भी
जहाँ माता कहके बुलाते है
इतना आदर इन्सान तो क्या
पत्थर भी पूजे जातें है
उस धरती पे मैंने जन्म लिया
ये सोच के मैं इतराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ