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"छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर

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'''गीतकार : शैलेन्द्र सिंह
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सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
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चाँद मिलता नहीं सबको सँसार में
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है दिया ही बहुत रोशनी के लिए
  
रुक जा रात ठहर जा रे चंदा
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कितनी हसरत से तकती हैं कलियाँ तुम्हें
 
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क्यूँ बहारों को फिर से बुलाते नहीं
बीते न मिलन की बेला
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एक दुनिया उजड़ ही गई है तो क्या
 
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दूसरा तुम जहां क्यूँ बसाते नहीं
आज चांदनी की नगरी में अरमानों का मेला रुक जा रात ...
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दिल ना चाहे भी तो साथ संसार के
 
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चलना पड़ता है सब की खुशी के लिए
 
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पहले मिलन की यादें लेकर आई है ये रात सुहानी
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दोहराते हैं चांद सितारे मेरी तुम्हारी प्रेम कहानी
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मेरी तुम्हारी प्रेम कहानी
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रुक जा रात ...
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कल का डरना काल की चिंता, दो तन है मन एक हमारे
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जीवन सीमा के आगे भी आऊंगी मैं संग तुम्हारे
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आऊंगी मैं संग तुम्हारे
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रुक जा रात ...
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रुक जा रात ठहर जा रे चंदा
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बीते न मिलन की बेला
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आज चांदनी की नगरी में अरमानों का मेला
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रुक जा रात ...
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08:30, 1 मार्च 2010 का अवतरण

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं ज़िंदगी के लिए

तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर से ही सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको सँसार में
है दिया ही बहुत रोशनी के लिए

कितनी हसरत से तकती हैं कलियाँ तुम्हें
क्यूँ बहारों को फिर से बुलाते नहीं
एक दुनिया उजड़ ही गई है तो क्या
दूसरा तुम जहां क्यूँ बसाते नहीं
दिल ना चाहे भी तो साथ संसार के
चलना पड़ता है सब की खुशी के लिए