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"छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर
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Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) छो (रुक जा रात ठहर जा रे चंदा / दिल एक मंदिर का नाम बदलकर छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए / इंदीवर कर दिया ) |
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08:31, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं ज़िंदगी के लिए
तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर से ही सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको सँसार में
है दिया ही बहुत रोशनी के लिए
कितनी हसरत से तकती हैं कलियाँ तुम्हें
क्यूँ बहारों को फिर से बुलाते नहीं
एक दुनिया उजड़ ही गई है तो क्या
दूसरा तुम जहां क्यूँ बसाते नहीं
दिल ना चाहे भी तो साथ संसार के
चलना पड़ता है सब की खुशी के लिए