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"बरसात में हमसे मिले तुम सजन / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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बरसात में हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हम
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बरसात में ...
  
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प्रीत ने सिंगार किया, मैं बनी दुल्हन
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सपनों की रिमझिम में, नाच उठा मन
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मेरा नाच उठा मन
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आज मैं तुम्हारी हुई तुम मेरे सनम
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तुम मेरे सनम
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बरसात में ...
  
जिस दिल में बसा था प्यार तेरा
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नैनों से झांकी जो, मेरी मस्त जवानी
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दुनिया से कहती फिरे, दिल की कहानी
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मेरे दिल की कहानी
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उनकी जो हूँ मैं उनसे कैसी शरम
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बरसात में ...
  
उस दिल को कभी का तोड़ दिया, हाय, तोड़ दिया
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ये समाँ है जा रहे हो, कैसे मनाऊँ
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मैं तुम्हारी राह में ये, नैन बिछाऊँ
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मैं नैन बिछाऊँ
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तुम ना जाओ तुमको मेरी जान की क़सम
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बरसात में ...
  
बदनाम न होने देंगे तुझे
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देर ना करना कहीं ये, आस छूट जाये
 
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साँस टूट जाये
तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया, हाय, छोड़ दिया
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तुम ना आओ दिल की लगी, मुझको ही जलाये
 
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ख़ाक़ में मिलाये
जिस दिल में बसा था प्यार तेरा
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आग़ की लपटों में पुकारे ये मेरा मन
 
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मिल ना सके हाय मिल ना सके हम
 
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बरसात में ...
तू औरों का कोई और तेरा ,दुनिया में हम क्यों जिंदा हैं,
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हम बन कर क्यों दीवार रहे, ये सोच के हम शर्मिंदा हैं..
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ये सोच के हम शर्मिंदा हैं..
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दर कोई खुले न खुले अब तेरी राहों को हमने छोड़ दिया..
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हम प्यार में थे नादान बहुत ,कुछ करना था कुछ कर बैठे ,
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वो फूल था और के जूडे ka, हम जिस से दामन भर बैठे ..
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हम जिस से दामन भर बैठे...
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हम ने ख़ुद अपनी बहारों का विरानो से रिश्ता जोड़ दिया ...
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जिस दिल में बसा था प्यार तेरा
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उस दिल को कभी का तोड़ दिया, हाय, तोड़ दिया
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बदनाम न होने देंगे तुझे
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तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया, हाय, छोड़ दिया
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जिस दिल में बसा था प्यार तेरा ...
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10:04, 1 मार्च 2010 का अवतरण

बरसात में हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हम
बरसात में ...

प्रीत ने सिंगार किया, मैं बनी दुल्हन
सपनों की रिमझिम में, नाच उठा मन
मेरा नाच उठा मन
आज मैं तुम्हारी हुई तुम मेरे सनम
तुम मेरे सनम
बरसात में ...

नैनों से झांकी जो, मेरी मस्त जवानी
दुनिया से कहती फिरे, दिल की कहानी
मेरे दिल की कहानी
उनकी जो हूँ मैं उनसे कैसी शरम
बरसात में ...

ये समाँ है जा रहे हो, कैसे मनाऊँ
मैं तुम्हारी राह में ये, नैन बिछाऊँ
मैं नैन बिछाऊँ
तुम ना जाओ तुमको मेरी जान की क़सम
बरसात में ...

देर ना करना कहीं ये, आस छूट जाये
साँस टूट जाये
तुम ना आओ दिल की लगी, मुझको ही जलाये
ख़ाक़ में मिलाये
आग़ की लपटों में पुकारे ये मेरा मन
मिल ना सके हाय मिल ना सके हम
बरसात में ...