भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तेरा जाना दिल के अरमानों का लुट जाना / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (मोरा गोरा अंग लइ ले / बंदिनी का नाम बदलकर तेरा जाना दिल के अरमानों का लुट जाना / शैलेन्द्र कर दिया गय)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
मोरा गोरा अंग लइ ले, मोहे शाम रंग दइ दे<br />
+
{{KKGlobal}}
छुप जाऊँगी रात ही में, मोहे पी का संग दइ दे<br />
+
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=शैलेन्द्र
 +
}}
 +
[[Category:गीत]]
 +
<poem>
 +
तेरा जाना
 +
दिल के अरमानों का लुट जाना
 +
कोई देखे
 +
बन के तक़दीरों का मिट जाना
 +
तेरा जाना...
  
एक लाज रोके पैयाँ , एक मोह खींचे बैयाँ<br />
+
तेरा ग़म तेरी ख़ुशी
जाऊँ किधर न जानूँ, हम का कोई बताई दे<br />
+
मेरा ग़म मेरी ख़ुशी
 +
तुझसे ही थी ज़िन्दगी
 +
हँस कर हमने था कहा
 +
जीवन भर का साथ है
 +
ये कल ही की बात है
 +
तेरा जाना...
  
बदरी हटा के चंदा, चुपके से झाँके चंदा<br />
+
जब-जब चन्दा आयेगा
तोहे राहू लागे बैरी, मुस्काये जी जलाइ के<br />
+
तेरी याद दिलायेगा
 
+
सारी रात जगायेगा
कुछ खो दिया है पाइ के, कुछ पा लिया गवाइ के<br />
+
मैं रो कर रह जाऊँगी
कहाँ ले चला है मनवा, मोहे बाँवरी बनाइ के
+
दिल जब ज़िद पर आयेगा
 +
दिल को कौन मनायेगा
 +
तेरा जाना...
 +
</poem>

10:41, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण

तेरा जाना
दिल के अरमानों का लुट जाना
कोई देखे
बन के तक़दीरों का मिट जाना
तेरा जाना...

तेरा ग़म तेरी ख़ुशी
मेरा ग़म मेरी ख़ुशी
तुझसे ही थी ज़िन्दगी
हँस कर हमने था कहा
जीवन भर का साथ है
ये कल ही की बात है
तेरा जाना...

जब-जब चन्दा आयेगा
तेरी याद दिलायेगा
सारी रात जगायेगा
मैं रो कर रह जाऊँगी
दिल जब ज़िद पर आयेगा
दिल को कौन मनायेगा
तेरा जाना...