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"रुक जा ओ जाने वाली रुक जा / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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रुक जा ओ जाने वाली रुक जा
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मैं तो राही तेरी मंज़िल का
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आदमी बुरा नहीं मैं दिल का
  
टूटा दिल, हमारा देखते जाओ
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तू आके चली छम से, यूँ धूप के बिन पानी
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रुक जा ...
  
किए जाते हो हमको
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मुद्दत से मेरे दिल के, सपनों की तू रानी है
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अब तक न मिले लेकिन, पहचान पुरानी है
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रुक जा ...
  
बेसहारा देखते जाओ
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आ प्यार की राहों में, बाहों का सहारा ले
 
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दुनिया जिसे गाती है, उस गीत को दोहरा ले
कहाँ जाते हो...
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रुक जा ...
 
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करूँ तो क्या करूँ
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अब मैं तुम्हारी इस निशानी को  
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अधूरी रह गई अपनी
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तमन्ना देखते जाओ
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कहाँ जाते हो...  
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कली खिलने भी ना पाई
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बहारें रूठ कर चल दी
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दिया क़िस्मत ने कैसा
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हमको धोखा देखते जाओ
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कहाँ जाते हो...
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तमन्ना थी की दम निकले
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हमारा तेरी बाहों में
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हमारी ख़ाक में मिलती
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तमन्ना देखते जाओ
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कहाँ जाते हो..
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11:12, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण

रुक जा ओ जाने वाली रुक जा
मैं तो राही तेरी मंज़िल का
नज़रों में तेरी मैं बुरा सही
आदमी बुरा नहीं मैं दिल का

देखा ही नहीं तुझको, सूरत भी न पहचानी
तू आके चली छम से, यूँ धूप के बिन पानी
रुक जा ...

मुद्दत से मेरे दिल के, सपनों की तू रानी है
अब तक न मिले लेकिन, पहचान पुरानी है
रुक जा ...

आ प्यार की राहों में, बाहों का सहारा ले
दुनिया जिसे गाती है, उस गीत को दोहरा ले
रुक जा ...