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"सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) छो (प्रीत में है जीवन /दुश्मन का नाम बदलकर सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी / शैलेन्द्र कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
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11:20, 1 मार्च 2010 का अवतरण
प्रीत में है जीवन झोकों
कि जैसे कोल्हू में सरसों
प्रीत में है जीवन जोखों
भोर सुहानी चंचल बालक,
लरकाई (लडकाई) दिखलाये,
हाथ से बैठा गढे खिलौने,
पैर से तोडत जाये ।
वो तो है, वो तो है
एक मूरख बालक,
तू तो नहीं नादान,
आप बनाये आप बिगाडे
ये नहीं तेरी शान, ये नहीं तेरी शान
ऐसा क्यों, फ़िर ऐसा क्यों...