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"केवल पश्चाताप / संध्या पेडणेकर" के अवतरणों में अंतर

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किये हुए पापों का  
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किए हुए पापों का  
अनजानी गलतियों का  
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अनजानी ग़लतियों का  
 
दूसरों से खाए धोखों का  
 
दूसरों से खाए धोखों का  
खुद खाई चोटों का  
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ख़ुद खाई चोटों का  
 
कहे हुए शब्दों के लिए
 
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अनकहे शब्दों के लिए  
 
अनकहे शब्दों के लिए  
 
झुकी आँखों का  
 
झुकी आँखों का  
 
उठे हाथों का
 
उठे हाथों का
लरजी जबान का  
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लरज़ी जबान का  
 
घुटी साँसों का  
 
घुटी साँसों का  
 
अंत में है  
 
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सूरज की रश्मियों से  
 
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होड़ न ले पाने का  
 
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सहस्त्रबाहू से  
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सहस्त्रबाहु से  
तुलना किये जाने का  
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तुलना किए जाने का  
 
चाँद की कलाओं को  
 
चाँद की कलाओं को  
 
मात न दे पाने का  
 
मात न दे पाने का  
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सफेदी के झांकने का  
 
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उजले चरित्र पर   
 
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कालिख के पुतने का  
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कालिख़ के पुतने का  
 
पड़ोस की गुडिया पर  
 
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जवानी चढने का  
 
जवानी चढने का  
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दिन-रात निगलने का  
 
दिन-रात निगलने का  
 
उभारों को टटोलती
 
उभारों को टटोलती
चोर निगाहों का  
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चोर-निगाहों का  
 
हुलसे क्षणों का  
 
हुलसे क्षणों का  
 
फिसले पलों का  
 
फिसले पलों का  
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डपट खाकर  
 
डपट खाकर  
 
दाँत निपोरने का  
 
दाँत निपोरने का  
आशाएं जगाकर  
+
आशाएँ जगाकर  
 
निराशाओं को पाने का  
 
निराशाओं को पाने का  
पाई खुशियों की  
+
पाई ख़ुशियों की  
 
कमियाँ गिनाने का  
 
कमियाँ गिनाने का  
 
वरदान पाने का  
 
वरदान पाने का  

20:20, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण

किए हुए पापों का
अनजानी ग़लतियों का
दूसरों से खाए धोखों का
ख़ुद खाई चोटों का
कहे हुए शब्दों के लिए
अनकहे शब्दों के लिए
झुकी आँखों का
उठे हाथों का
लरज़ी जबान का
घुटी साँसों का
अंत में है
केवल पश्चाताप!

सूरज की रश्मियों से
होड़ न ले पाने का
सहस्त्रबाहु से
तुलना किए जाने का
चाँद की कलाओं को
मात न दे पाने का
चाँदनी की शीतलता को
जज्ब न कर पाने का
लू चलाती गर्मी में
झुलस झुलस जाने का
शैशव को खोने का
जवानी की फिसलन का
प्रौढ़ झुर्रियों का
बुढ़ापे की लाठियों के
टूट टूट जाने का
बालों की कालिख में
सफेदी के झांकने का
उजले चरित्र पर
कालिख़ के पुतने का
पड़ोस की गुडिया पर
जवानी चढने का
गठिया की गोली
दिन-रात निगलने का
उभारों को टटोलती
चोर-निगाहों का
हुलसे क्षणों का
फिसले पलों का
भरपूर पाकर भी
कटोरी छूटने का
घिसी साडी में
जर्जर देह का
डपट खाकर
दाँत निपोरने का
आशाएँ जगाकर
निराशाओं को पाने का
पाई ख़ुशियों की
कमियाँ गिनाने का
वरदान पाने का
शाप भोगने का

अंत में है
केवल पश्चाताप!!