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"जायज-नाजायज / संध्या पेडणेकर" के अवतरणों में अंतर

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अपना है तो  
 
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जायज है  
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कभी स्वाभिमान है,  
 
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कभी  
 
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सकारात्मक
 
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जिसका पोषण करना  
 
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जरूरी है  
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किसी और का हो  
 
किसी और का हो  
 
तो  
 
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गैरजरूरी है,
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नाजायज है  
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नाजायज़ है  
 
बेमतलब है  
 
बेमतलब है  
 
अकारण  है
 
अकारण  है
 
इसलिए  
 
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एन केन प्रकारेण  
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येन-केन-प्रकारेण  
अपनी इज्जत गिरवी रखकर ही सही  
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अपनी इज़्ज़त गिरवी रखकर ही सही  
 
उसे कुचलना चाहिए  
 
उसे कुचलना चाहिए  
 
कहीं उसका अहंकार  
 
कहीं उसका अहंकार  
अपने अहंकार कस आगे  
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अपने अहंकार के आगे  
 
भारी पड़ा तो?
 
भारी पड़ा तो?
दिखावटी टुच्ची लडाई
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दिखावटी टुच्ची लड़ाई
 
सच ने जीत ली तो?   
 
सच ने जीत ली तो?   
नाक कट जायेगी,
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नाक कट जाएगी,
स्वाभिमान मिट जायेगा
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स्वाभिमान मिट जाएगा
 
इसलिए
 
इसलिए
नाजायज अहंकार को कुचलने के लिए  
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नाजायज़ अहंकार को कुचलने के लिए  
जायज अहंकार को बिच जाना होगा  
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जायज़ अहंकार को बिछ जाना होगा  
 
बेआबरू का सैलाब बह जाने देना होगा
 
बेआबरू का सैलाब बह जाने देना होगा
  
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उसके अहंकार को  
 
उसके अहंकार को  
 
कुचलना होगा
 
कुचलना होगा
दफनाना होग
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दफ़नाना होग
 
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20:31, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण

अपना है तो
जायज़ है
कभी स्वाभिमान है,
कभी
अस्मिता है
कभी और कुछ
सकारात्मक
जिसका पोषण करना
ज़रूरी है
किसी और का हो
तो
ग़ैरज़रूरी है,
नाजायज़ है
बेमतलब है
अकारण है
इसलिए
येन-केन-प्रकारेण
अपनी इज़्ज़त गिरवी रखकर ही सही
उसे कुचलना चाहिए
कहीं उसका अहंकार
अपने अहंकार के आगे
भारी पड़ा तो?
दिखावटी टुच्ची लड़ाई
सच ने जीत ली तो?
नाक कट जाएगी,
स्वाभिमान मिट जाएगा
इसलिए
नाजायज़ अहंकार को कुचलने के लिए
जायज़ अहंकार को बिछ जाना होगा
बेआबरू का सैलाब बह जाने देना होगा

हो सके तो
उसी सैलाब में
उसके अहंकार को
कुचलना होगा
दफ़नाना होग