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"प्रतिफलन / नीलेश रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर
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मेरे ख़िलाफ़। | मेरे ख़िलाफ़। | ||
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13:01, 3 मार्च 2010 के समय का अवतरण
मैंने हाथ उठाया फूल की ओर
उसने कहा-- मत जुदा करो मुझे मेरी डाल से
उसकी एक न सुनी मैंने
तोड़कर रख लिया हथेली पर
ख़ून से सन गई है मेरी हथेली
काँटों ने बांध लिया है मोर्चा
मेरे ख़िलाफ़।