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"नक़्श फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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नक़्श<ref>चिन्ह</ref> फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर<ref>लिखावट की अस्थिरता</ref> का
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नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का <br>
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कावे-कावे सख़्तजानी हाय तनहाई न पूछ
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए-तस्वीर का <br><br>
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कावे-कावे सख़्तजानी हाय तन्हाई न पूछ <br>
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जज़्बा-ए-बेअख़्तियारे-शौक़ देखा चाहिए
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जज़्बा-ए-बेइख़्तियार-ए-शौक़ देखा चाहिये <br>
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मू--आतिशदीदा है हल्क़ा मेरी ज़ंजीर का <br><br>
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20:18, 3 मार्च 2010 का अवतरण

नक़्श<ref>चिन्ह</ref> फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर<ref>लिखावट की अस्थिरता</ref> का
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर<ref>आकार</ref>-ए-तस्वीर का

कावे-कावे सख़्तजानी हाय तनहाई न पूछ
सुबह करना शाम का लाना है जू-ए-शीर<ref>दूध की नदी</ref> का

जज़्बा-ए-बेअख़्तियारे-शौक़ देखा चाहिए
सीना-ए-शमशीर से बाहर है दम शमशीर का

आगही<ref>समझ</ref> दामे-शुनीदन<ref>प्रसिद्दी का जाल</ref> जिस क़दर चाहे बिछाए
मुद्दआ़ अ़न्क़ा<ref>दुर्लभ</ref> है अपने आ़लमे-तक़रीर का

बस कि हूँ "ग़ालिब" असीरी<ref>कैद</ref> में भी आतिश-ज़ेर-पा<ref>पांव के नाचे की आग</ref>
मूए-आतिश-दीद़ा<ref>जला हुआ बाल</ref> है हल्क़ा मेरी ज़ंजीर का

शब्दार्थ
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