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"सताइश-गर है ज़ाहिद इस क़दर / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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(कोई अंतर नहीं)
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20:29, 3 मार्च 2010 का अवतरण
मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंगलिस्तानी
सर पे लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी
मेरा जूता...
निकल पड़े हैं खुली सड़क पर
अपना सीना ताने - (२)
मंज़िल कहाँ कहाँ रुकना है
ऊपर वाला जाने - (२)
बढ़ते जायें हम सैलानी, जैसे एक दरिया तूफ़ानी
सर पे लाल...
ऊपर नीचे नीचे ऊपर
लहर चले जीवन की - (२)
नादां हैं जो बैठ किनारे
पूछें राह वतन की - (२)
चलना जीवन की कहानी, रुकना मौत की निशानी
सर पे लाल...
होंगे राजे राजकुँवर हम
बिगड़े दिल शहज़ादे - (२)
हम सिंहासन पर जा बैठे
जब जब करें इरादे - (२)
सूरत है जानी पहचानी, दुनिया वालों को हैरानी
सर पे लाल...