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22:04, 7 मार्च 2010 का अवतरण
बहुत सही ग़मे-गेती<ref>दुनिया का दुःख</ref> शराब कम क्या है
ग़ुलामे-साक़ी-ए-कौसर<ref>खुदा का दास</ref> हूँ, मुझको ग़म क्या है
तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश, जानते हैं हम क्या है
रक़ीब पर है अगर लुत्फ़ तो सितम क्या है
कटे तो शब कहें काटे तो सांप कहलावे
कोई बताओ, कि वो ज़ुल्फ़े-ख़म-ब-ख़म क्या है
न हश्रो-नश्र<ref>क़यामत और उसका दंड</ref> का क़ायल न केशो-मिल्लत<ref>धर्म और क़ौम</ref> का
ख़ुदा के वास्ते, ऐसे की फिर क़सम क्या है
सुख़न में ख़ामए<ref>क़लम</ref> ग़ालिब की आतश-अफ़शानी<ref>आग बरसाना</ref>
यक़ीं है हमको भी, लेकिन अब उसमें दम क्या है
शब्दार्थ
<references/>