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"अख़बारवाला / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर

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धधकती धूप में रामू खड़ा है  
 
धधकती धूप में रामू खड़ा है  
 
 
खड़ा भुलभुल में बदलता पाँव रह रह  
 
खड़ा भुलभुल में बदलता पाँव रह रह  
 
 
बेचता अख़बार जिसमें बड़े सौदे हो रहे हैं ।  
 
बेचता अख़बार जिसमें बड़े सौदे हो रहे हैं ।  
 
 
  
 
एक प्रति पर पाँच पैसे कमीशन है,  
 
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और कम पर भी उसे वह बेच सकता है  
 
और कम पर भी उसे वह बेच सकता है  
 
 
अगर हम तरस खायें, पाँच रूपये दें  
 
अगर हम तरस खायें, पाँच रूपये दें  
 
 
अगर ख़ैरात वह ले ले ।  
 
अगर ख़ैरात वह ले ले ।  
 
 
  
 
लगी पूँजी हमारी है छपाई-कल हमारी है  
 
लगी पूँजी हमारी है छपाई-कल हमारी है  
 
 
ख़बर हमको पता है, हमारा आतंक है,  
 
ख़बर हमको पता है, हमारा आतंक है,  
 
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हमने बनाई है  
हमने बनायी है  
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यहाँ चलती सड़क पर इस ख़बर को हम ख़रीदें क्यो ?  
 
यहाँ चलती सड़क पर इस ख़बर को हम ख़रीदें क्यो ?  
 
 
कमाई पाँच दस अख़बार भर की क्यों न जाने दें ?  
 
कमाई पाँच दस अख़बार भर की क्यों न जाने दें ?  
 
 
  
 
वहाँ जब छाँह में रामू दुआएँ दे रहा  होगा  
 
वहाँ जब छाँह में रामू दुआएँ दे रहा  होगा  
 
 
ख़बर वातानुकूलित कक्ष में तय कर रही होगी  
 
ख़बर वातानुकूलित कक्ष में तय कर रही होगी  
 
 
करेगी कौन रामू के तले की भूमि पर कब्ज़ा ।
 
करेगी कौन रामू के तले की भूमि पर कब्ज़ा ।
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00:22, 8 मार्च 2010 के समय का अवतरण

धधकती धूप में रामू खड़ा है
खड़ा भुलभुल में बदलता पाँव रह रह
बेचता अख़बार जिसमें बड़े सौदे हो रहे हैं ।

एक प्रति पर पाँच पैसे कमीशन है,
और कम पर भी उसे वह बेच सकता है
अगर हम तरस खायें, पाँच रूपये दें
अगर ख़ैरात वह ले ले ।

लगी पूँजी हमारी है छपाई-कल हमारी है
ख़बर हमको पता है, हमारा आतंक है,
हमने बनाई है
यहाँ चलती सड़क पर इस ख़बर को हम ख़रीदें क्यो ?
कमाई पाँच दस अख़बार भर की क्यों न जाने दें ?

वहाँ जब छाँह में रामू दुआएँ दे रहा होगा
ख़बर वातानुकूलित कक्ष में तय कर रही होगी
करेगी कौन रामू के तले की भूमि पर कब्ज़ा ।