भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक रात नागा / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार =रघुवीर सहाय }} <poem> न सही आज रात को कविता काग़ज़ पे...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार =रघुवीर सहाय | |रचनाकार =रघुवीर सहाय | ||
+ | |संग्रह = लोग भूल गये हैं / रघुवीर सहाय | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
<poem> | <poem> | ||
न सही आज रात को कविता | न सही आज रात को कविता |
00:39, 8 मार्च 2010 के समय का अवतरण
न सही आज रात को कविता
काग़ज़ पेंसिल सिरहाने रख कर सोने की आदत में
आज एक नागा हो रहा है
और भी अकेला हो रहा हूँ मैं और अपने में पूरा।