"सानू आ मिल यार पियारया / बुल्ले शाह" के अवतरणों में अंतर
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धी माँ नू लुट के लै गई, | धी माँ नू लुट के लै गई, |
20:32, 8 मार्च 2010 के समय का अवतरण
हे प्रियतम हमसे आकर मिल।
सब लगे हैं अपनी स्वार्थ-सिद्धि में
बेटी माँ को लूट रही है
बारहवीं सदी आ गई है
आ पिया तू आकर हमसे मिल।
कष्टों और क़ब्र का दरवाज़ा खुल चुका अब
पंजाब की हालत और ख़राब
ठंडी आहों और हत्याओं से पंजाब कमज़ोर हो रहा है
हे प्रियतम आकर हमसे मिल।
हे ख़ुदा तू मेरे घर आ
इस प्रचण्ड आग को शान्त करा
हर साँस मेरी तुझे याद करे ख़ुदा
आ पिया तू आकर हमसे मिल।
मूल पंजाबी पाठ
सानू आ मिल यार पियारया,
जद अपनी अपनी पै गई,
धी माँ नू लुट के लै गई,
मूह बाहरवीनां सदा पसारिया,
सानू आ मिल यार पिआरिया।
दर खुल्हा हशर अज़ाब दा,
विच हवियां दोज़ख मारिया,
सानू आ मिल यार पिआरिया।
बुल्हा शाह मेरे घर आवसी,
मेरी बल्दी भाह बुझावसी,
इनायत दम-दम नाल चितारया
सानू आ मिल यार पियारया।।