"प्यार के जज़्बों को ताबानी देते रहना / सुरेश चन्द्र शौक़" के अवतरणों में अंतर
छो |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
}} | }} | ||
[[Category:ग़ज़ल]] | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
− | + | <poem> | |
− | प्यार के जज़्बों को ताबानी<ref>रौशनी </ref>देते रहना | + | प्यार के जज़्बों को ताबानी<ref>रौशनी</ref>देते रहना |
− | + | ||
इन फूलों को अक्सर पानी देते रहना | इन फूलों को अक्सर पानी देते रहना | ||
+ | क़ाइम रखना लम्स<ref>स्पर्श</ref> यूँ ही शादाब लबों<ref>हरे-भरे / रसीले होंठों</ref>का | ||
+ | कुछ लम्हे मुझको लाफ़ानी<ref>अनश्वर</ref> देते रहना | ||
− | + | दिल वाले भी बेहिस<ref>सुन्न</ref> होते जाते हैं अब | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | दिल वाले भी बेहिस<ref>सुन्न </ref> होते जाते हैं अब | + | |
− | + | ||
इनको ‘मीर’ ‘कबीर’ की बानी देते रहना | इनको ‘मीर’ ‘कबीर’ की बानी देते रहना | ||
− | |||
दिल के जलने—बुझने में ही लुत्फ़ है यारो | दिल के जलने—बुझने में ही लुत्फ़ है यारो | ||
− | |||
अब तब इसको आग और पानी देते रहना | अब तब इसको आग और पानी देते रहना | ||
− | |||
ठहरा—ठहरा दिल का दरिया सूख न जाये | ठहरा—ठहरा दिल का दरिया सूख न जाये | ||
+ | लहरों को थोड़ी तुग़यानी<ref>बाढ़</ref> देते रहना | ||
− | + | रविश— रविश<ref>क्यारियों के बीचो—बीच का छोटा रास्ता</ref> गुल मेहरो—महब्बत के बिखरा कर | |
+ | मुश्किल राहों को आसानी देते रहना | ||
+ | बूढ़े भी तो बच्चों जैसे ही होते हैं | ||
+ | इनको भी थोड़ी मनमानी देते रहना | ||
− | + | मुल्ला, पंडित बनकर रहना ऐश—कदों<ref>विलास महल</ref> में | |
− | + | लोगों को दर्से—रूहानी<ref>धार्मिक उपदेश</ref> देते रहना | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | मुल्ला, पंडित बनकर रहना ऐश—कदों<ref>विलास महल </ref> में | + | |
− | + | ||
− | लोगों को दर्से—रूहानी<ref>धार्मिक उपदेश </ref> देते रहना | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
+ | मैं शिमले का बाशिंदा हूँ लू से ख़ाइफ़<ref>भयभीत</ref> | ||
‘शौक़’! मुझे झोंके बर्फ़ानी देते रहना | ‘शौक़’! मुझे झोंके बर्फ़ानी देते रहना | ||
− | + | </poem> | |
− | + | ||
{{KKMeaning}} | {{KKMeaning}} |
20:32, 9 मार्च 2010 के समय का अवतरण
प्यार के जज़्बों को ताबानी<ref>रौशनी</ref>देते रहना
इन फूलों को अक्सर पानी देते रहना
क़ाइम रखना लम्स<ref>स्पर्श</ref> यूँ ही शादाब लबों<ref>हरे-भरे / रसीले होंठों</ref>का
कुछ लम्हे मुझको लाफ़ानी<ref>अनश्वर</ref> देते रहना
दिल वाले भी बेहिस<ref>सुन्न</ref> होते जाते हैं अब
इनको ‘मीर’ ‘कबीर’ की बानी देते रहना
दिल के जलने—बुझने में ही लुत्फ़ है यारो
अब तब इसको आग और पानी देते रहना
ठहरा—ठहरा दिल का दरिया सूख न जाये
लहरों को थोड़ी तुग़यानी<ref>बाढ़</ref> देते रहना
रविश— रविश<ref>क्यारियों के बीचो—बीच का छोटा रास्ता</ref> गुल मेहरो—महब्बत के बिखरा कर
मुश्किल राहों को आसानी देते रहना
बूढ़े भी तो बच्चों जैसे ही होते हैं
इनको भी थोड़ी मनमानी देते रहना
मुल्ला, पंडित बनकर रहना ऐश—कदों<ref>विलास महल</ref> में
लोगों को दर्से—रूहानी<ref>धार्मिक उपदेश</ref> देते रहना
मैं शिमले का बाशिंदा हूँ लू से ख़ाइफ़<ref>भयभीत</ref>
‘शौक़’! मुझे झोंके बर्फ़ानी देते रहना