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"बहुत सही ग़म-ए-गेती शराब कम क्या है / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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− | <poem>बहुत सही ग़मे-गेती<ref>दुनिया का दुःख</ref> शराब कम क्या है | + | <poem> |
− | ग़ुलामे-साक़ी-ए-कौसर<ref>खुदा का दास</ref> हूँ, मुझको ग़म क्या है | + | बहुत सही ग़मे-गेती<ref>दुनिया का दुःख</ref>, शराब कम क्या है? |
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− | तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश, जानते हैं हम क्या है | + | तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश<ref>तोर-तरीका</ref>, जानते हैं हम क्या है |
− | रक़ीब पर है अगर लुत्फ़ तो सितम क्या है | + | रक़ीब पर है अगर लुत्फ़<ref>कृपा</ref>, तो सितम<ref>बुराई</ref> क्या है? |
− | कटे तो शब कहें काटे तो सांप कहलावे | + | कटे तो शब कहें, काटे तो सांप कहलावे |
− | कोई बताओ, कि वो ज़ुल्फ़े-ख़म-ब-ख़म क्या है | + | कोई बताओ, कि वो ज़ुल्फ़े-ख़म-ब-ख़म<ref>बालों का उलझाव</ref> क्या है? |
न हश्रो-नश्र<ref>क़यामत और उसका दंड</ref> का क़ायल न केशो-मिल्लत<ref>धर्म और क़ौम</ref> का | न हश्रो-नश्र<ref>क़यामत और उसका दंड</ref> का क़ायल न केशो-मिल्लत<ref>धर्म और क़ौम</ref> का | ||
− | ख़ुदा के वास्ते, ऐसे की फिर क़सम क्या है | + | ख़ुदा के वास्ते, ऐसे की फिर क़सम क्या है? |
− | सुख़न में ख़ामए<ref>क़लम</ref> ग़ालिब की आतश-अफ़शानी<ref>आग बरसाना</ref> | + | सुख़न<ref>शायरी</ref> में ख़ामए<ref>क़लम</ref> ग़ालिब की आतश-अफ़शानी<ref>आग बरसाना</ref> |
− | यक़ीं है हमको भी, लेकिन अब उसमें दम क्या है </poem> | + | यक़ीं है हमको भी, लेकिन अब उसमें दम क्या है? |
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00:18, 10 मार्च 2010 का अवतरण
बहुत सही ग़मे-गेती<ref>दुनिया का दुःख</ref>, शराब कम क्या है?
ग़ुलामे-साक़ी-ए-कौसर<ref>खुदा का दास</ref> हूँ, मुझको ग़म क्या है?
तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश<ref>तोर-तरीका</ref>, जानते हैं हम क्या है
रक़ीब पर है अगर लुत्फ़<ref>कृपा</ref>, तो सितम<ref>बुराई</ref> क्या है?
कटे तो शब कहें, काटे तो सांप कहलावे
कोई बताओ, कि वो ज़ुल्फ़े-ख़म-ब-ख़म<ref>बालों का उलझाव</ref> क्या है?
न हश्रो-नश्र<ref>क़यामत और उसका दंड</ref> का क़ायल न केशो-मिल्लत<ref>धर्म और क़ौम</ref> का
ख़ुदा के वास्ते, ऐसे की फिर क़सम क्या है?
सुख़न<ref>शायरी</ref> में ख़ामए<ref>क़लम</ref> ग़ालिब की आतश-अफ़शानी<ref>आग बरसाना</ref>
यक़ीं है हमको भी, लेकिन अब उसमें दम क्या है?
शब्दार्थ
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