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"ख़तर है, रिश्ता-ए-उल्फ़त / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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20:36, 10 मार्च 2010 का अवतरण

ख़तर<ref>भय, ख़तरा</ref> है, रिश्ता-ए-उल्फ़त<ref>प्यार का रिश्ता</ref> रग-ए-गरदन<ref>गरदन की नस, मुसीबत</ref> न हो जावे
ग़ुरूर-ए-दोस्ती आफ़त है, तू दुश्मन न हो जावे

समझ इस फ़सल<ref>मौसम</ref> में कोताही-ए-नश्व-ओ-नुमा<ref>फूल कम खिले हैं</ref> ग़ालिब
अगर गुल<ref>गुलाब</ref> सर्व<ref>सरू का पेड़</ref> के क़ामत<ref>महिमा</ref> पे पैराहन<ref>पौशाक</ref> न हो जावे

शब्दार्थ
<references/>