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{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब|संग्रह= दीवान-ए-ग़ालिब / ग़ालिब
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>वो आके ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तिराब <ref>बेचैनी को तसल्ली</ref> तो दे वले <ref>अगर कहीं</ref> मुझे तपिश-ए-दिल <ref>दिल की गर्मी</ref> मजाल-ए-ख़्वाब <ref>सोने की काबलियत</ref> तो दे
करे है क़त्ल , लगावट <ref>छेड़ना,तंग करना</ref> में तेरा रो देना
तेरी तरह कोई तेग़े-निगह की आब तो दे
दिखाके जुम्बिशेदिखा के जुंबिश<ref>हरकत</ref>-ए-लब ही तमाम कर हमको न दे जो बोसा, तो मुंह मुँह से कहीं जवाब तो दे
पिला दे ओक <ref>हाथों का प्याला</ref> से साक़ी , जो हमसे नफ़रत है प्याला गर नहीं देता न दे , शराब तो दे
"असद" ख़ुशी से मेरे हाथ-पाँव फूल गए
कहा जो उसने, ज़रा मेरे पाँव दाब तो दे </poem>{{KKMeaning}}
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